दरभंगा : जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर ने जन सुराज पदयात्रा के दौरान शनिवार को बिरौल अनुमंडल के पोखराम में प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. उन्होंने कहा कि बिहार में प्रति जिला, ब्लॉक, पंचायत की आबादी भारत में सबसे ज्यादा है. बिहार की आबादी दोगुनी है, लेकिन जिलों की संख्या को नहीं बढ़ाया गया. यहां जो प्रशासनिक ढांचा है, उसमें नीतीश कुमार की हठधर्मिता रही है कि उन्होंने प्रखंड, ब्लॉक व पंचायतों की संख्या को बढ़ाया नहीं है. नतीजा ये है कि जो लोग बिरौल को जिला बनाने की मांग कर रहे हैं, ये बात मधुबनी के झंझारपुर में, समस्तीपुर के रोसड़ा में, बगहा में भी लोगों की मांग रही है. बिहार की आबादी करीब-करीब दोगुनी हो गई व जिलों की संख्या को नहीं बढ़ाया गया है.
'बिहार में जिलों की संख्या होनी चाहिए 60': नीतीश जी की हठधर्मिता है कि उन्हें नया जिला नहीं बनाना है. बगहा में उन्होंने पुलिस जिला घोषित कर दिया, लेकिन नया जिला नहीं बना रहे हैं. जिसका कोई तर्क नहीं है, सिर्फ राजनीतिक एरोगेंसी है. दक्षिण के राज्यों में 3-5 हजार की आबादी पर एक पंचायत है, बिहार में 12-16 हजार की आबादी पर एक पंचायत है. यहां ढाई लाख की आबादी पर प्रखंड बनाए गए हैं. पश्चिम बंगाल को हटा दें, तो आबादी के आधार पर बिहार में प्रति जिला, प्रति ब्लॉक, प्रति पंचायत की आबादी भारत में सबसे ज्यादा है. इसे समुचित तरीके से देखने की जरूरत है.
''मेरा व्यक्तिगत मानना है कि राष्ट्रीय औसत को ध्यान में रखते हुए बिहार में जिलों की संख्या 60 के आसपास होनी चाहिए. बिहार में जिले इतने बड़े हैं कि प्रशासनिक अधिकारी अपने दो-तीन साल के कार्यकाल में कितने प्रखंडों में जा ही नहीं पाते हैं, लोगों की समस्या जो है वो तो है ही. यहां 60 से ज्यादा जिले बनने चाहिए, करीब 200 से ज्यादा प्रखंडों की जरूरत है. करीब-करीब पंचायतों की संख्या को डबल करने की जरूरत है. ये उस बड़े सोच का हिस्सा है कि सत्ता व संसाधन विकेंद्रीकरण होना चाहिए.''- प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज