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2 जिलों के झंझट में 15 साल बाद भी पुल का एप्रोच रोड नहीं बना, बरसात में बढ़ जातीं मुश्किलें

स्थानीय लोगों का दावा है कि एप्रोच पथ निजी जमीन पर है. वहीं, दो जिले की सीमा पर अवस्थित होने की वजह से अब तक इसका निर्माण नहीं हो सका है. दरभंगा जिले के प्रभारी मंत्री महेश्वर हजारी भी अब तक इसका कोई हल नहीं निकाल सके हैं.

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Published : Jul 11, 2020, 6:15 PM IST

दरभंगा: जिले के हनुमाननगर प्रखंड क्षेत्र के नेयाम छतोना में लाखों की लागत से निर्मित पुल में एप्रोच पथ नहीं बन सका है. इसकी वजह से आसपास के कई पंचायतों के लोगों को आए दिन मुसीबतों का सामना करना पड़ता है. दो जिले के सीमा पर बना यह पुल स्थानीय लोगों के लिए अभिशाप बन गया है. इस पुल से गुजरने में रोजाना लोगों को जूझना पड़ता है. वहीं, दुर्घटनाएं आम बात हो गई है.

इस पुल के बारे में स्थानीय आरजेडी विधायक भोला यादव से ईटीवी भारत संवाददाता ने दूरभाष पर संपर्क किया. विधायक ने बताया कि बहादुरपुर विधानसभा की ओर से एप्रोच पथ के लिए टेंडर निकाल दिया गया है. बहुत जल्द ही निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा. स्थानीय लोगों का दावा है कि एप्रोच पथ निजी जमीन पर है. जिसका पहले मुआवजा मिलना चाहिए लेकिन स्थानीय प्रशासन इसमें देरी कर रहा है. इस पुल को लेकर समस्तीपुर जिले के जनप्रतिनिधि और दरभंगा जिले के प्रभारी मंत्री महेश्वर हजारी से भी वार्तालाप की गई है. लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकल सका है.

बरसात में झेलनी पड़ती है मुश्किल

बता दें कि लगभग 15 वर्षों से तैयार पुल में एप्रोच पथ नहीं होने की वजह से आसपास की बड़ी आबादी मुश्किलों का सामना कर रही है. बरसात के मौसम में हालात और भी बिगड़ जाते है. हनुमाननगर प्रखंड क्षेत्र बाढ़ ग्रसित क्षेत्र है. यहां बाढ़ जल्द ही अपना कहर बरपाना शुरू कर देगी. ऐसे में कई पंचायतों को मुख्य सड़क से जोड़ने वाले पुल पर एप्रोच पथ आज तक नहीं बन सका है.

पुल का एप्रोच पथ

दुर्घटना के शिकार हो चुके हैं स्थानीय लोग
स्थानीय लोगों ने बताया कि 15 साल पहले बना यह पुल किसी काम का नहीं है. आए दिन लोगों का यहां दुर्घटनाग्रस्त होता है. कई लोगों का हाथ-पैर टूट चुका है. इन घटनाएं को पीछे का कारण है एप्रोच पथ का ना होना है. बाढ़ में इस पुल के सहारे आसपास के कई पंचायतों के लोग आवागमन कर सकते थे, लेकिन एप्रोच पथ नहीं होने की वजह से लोगों को नाव का सहारा लेना पड़ता है. बीमार व्यक्ति को नाव या फिर खटिया पर लाद कर ले जाना पड़ता है.

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