दरभंगा: केंद्र और राज्य सरकार बिहार के गांवों तक में बेहतर चिकित्सा सुविधा के लिए करोड़ों खर्च करती है. लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. आम लोगों तक ये सुविधाएं सही ढंग से नहीं पहुंच पा रही है. हनुमान नगर प्रखंड की पंचोभ पंचायत में बना अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बदहाल स्थिति में है.
इसे पूरे हनुमान नगर प्रखंड का टीबी रोग निवारण सेंटर घोषित किया गया है. साथ ही इसे मैटरनिटी सेन्टर बनाया गया है. हनुमान नगर प्रखंड की पंचोभ पंचायत में कहने को तो सरकार ने इस एपीएचसी को 6 बेड का अस्पताल बनाया है. इसमें 4 डॉक्टर और 2 एएनएम समेत कुल 11 स्टाफ की तैनाती की गई है.
एपीएचसी में डॉक्टर्स रहते नदारद
ईटीवी भारत की टीम ने जब इस एपीएचसी का जायजा लिया तो ग्राउंड पर हकीकत कुछ और ही सामने आई. ग्रामीणों की शिकायत है कि यहां 4 में से शायद ही कोई डॉक्टर ड्यूटी पर आते हैं. यहां के अधिकतर स्टाफ भी ड्यूटी से गायब रहते हैं.
एक एएनएम भरोसे अस्पताल
पूरे अस्पताल की जिम्मेवारी एक एएनएम सुनैना कुमारी संभालती हैं. एएनएम सुनैना कुमारी ही यहां की डॉक्टर, नर्स, कंपाउंडर, ड्रेसर सब कुछ हैं. यहां तक की बिना डॉक्टर के महिलाओं का प्रसव भी वही कराती हैं. ग्रामीणों की ये भी शिकायत है कि ये एपीएचसी सुबह 9 बजे खुलता है और दिन के 12 बजते-बजते बंद हो जाता है.
'पंचोभ एपीएचसी में तैनात डॉक्टर यहां कभी-कभार ही आते हैं. ये पूरा अस्पताल एक एएनएम के भरोसे चलता है. मरीजों को दवा देने से लेकर महिलाओं के प्रसव तक की जिम्मेवारी एएनएम की संभालती है'- अनंत झा, ग्रामीण
'ये अस्पताल 9 बजे खुलता है और 12 बजे बंद हो जाता है. इसके होने का कोई फायदा ग्रामीणों को नहीं मिलता है. बीमार पड़ने पर उन्हें डीएमसीएच जाना पड़ता है या फिर पटना और दिल्ली जाते हैं'-सुनैना देवी, ग्रामीण
'इस अस्पताल की एएनएम अंधेरे में महिलाओं का प्रसव कराती हैं. यहां के जेनेरेटर का डीजल बेच दिया जाता है. पिछले दिनों विभाग के प्रधान सचिव आए थे तो व्यवस्था चकाचक कर दी गई, लेकिन उसके बाद वही स्थिति हो गई'-रोहित कुमार चौधरी, ग्रामीण