दरभंगाःआत्मनिर्भर भारत योजना के तहत मखाना समेत कई क्षेत्रीय उत्पादों की ब्रांडिंग के लिए केंद्र सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया है. भारत में मखाना उत्पादन का हब माने जाने वाले मिथिलांचल में इस घोषणा से खुशी की लहर है. सालों बाद इस इलाके में औद्योगिकरण की उम्मीद जगी है. ईटीवी भारत ने इसकी संभावनाओं और उम्मीदों पर मखाना अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत की.
मिथिलांचल के लिए ये बड़ी सौगात
मखाना अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत माइक्रो फ़ूड इंटर प्राइजेज के लिए 10 हजार करोड़ की घोषणा स्वागत योग्य कदम है. इसी के तहत मखाना की ब्रांडिंग के लिए भी राशि दी गई है. मिथिलांचल के लिए ये बड़ी सौगात है. इससे यहां के किसानों और प्रसंस्करण उद्योग से जुड़े छोटे-छोटे व्यवसायियों को भी काफी लाभ होगा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के इस फैसले का बड़ा असर होगा.
दुनिया का 80-90 फीसदी मखाना मिथिलांचल में
वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि इससे जुड़े जो भी व्यवसायी हैं, उनके लिए इस अनुदान का बड़ा हिस्सा मिला है. जो लोग भी इस व्यवसाय में आएंगे उन्हें पहले तीन साल तक सरकार कई तरह की छूट और अनुदान देगी. उन्होंने कहा कि मखाना के उद्योग के लिए ये सबसे अच्छी जगह है. उत्तर बिहार के करीब 10 जिलों में दुनिया का 80-90 फीसदी मखाना उपजाया जाता है. उन्होंने कहा कि मखाना इतना पौष्टिक होता है कि इसकी मांग पूरी दुनिया में लगातार बढ़ रही है. जब मांग ज्यादा हो और उत्पादन सीमित हो तो उस क्षेत्र में संभावनाएं बहुत ज़्यादा होती हैं.