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केंद्र सरकार की मखाना ब्रांडिंग की घोषणा मिथिलांचल के लिए बड़ी सौगात- वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार

वर्ष 2002 में स्थापित दरभंगा के जिस राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र की स्वायत्ता और उसका राष्ट्रीय दर्जा 2005 में छीन लिया गया था, मखाना ब्रांडिंग की घोषणा के बाद उसके भी वापस मिलने के संकेत मिले हैं.

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Published : May 20, 2020, 4:18 PM IST

दरभंगाःआत्मनिर्भर भारत योजना के तहत मखाना समेत कई क्षेत्रीय उत्पादों की ब्रांडिंग के लिए केंद्र सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया है. भारत में मखाना उत्पादन का हब माने जाने वाले मिथिलांचल में इस घोषणा से खुशी की लहर है. सालों बाद इस इलाके में औद्योगिकरण की उम्मीद जगी है. ईटीवी भारत ने इसकी संभावनाओं और उम्मीदों पर मखाना अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत की.

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मिथिलांचल के लिए ये बड़ी सौगात
मखाना अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत माइक्रो फ़ूड इंटर प्राइजेज के लिए 10 हजार करोड़ की घोषणा स्वागत योग्य कदम है. इसी के तहत मखाना की ब्रांडिंग के लिए भी राशि दी गई है. मिथिलांचल के लिए ये बड़ी सौगात है. इससे यहां के किसानों और प्रसंस्करण उद्योग से जुड़े छोटे-छोटे व्यवसायियों को भी काफी लाभ होगा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के इस फैसले का बड़ा असर होगा.

वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार से बातचीत करते संवाददाता

दुनिया का 80-90 फीसदी मखाना मिथिलांचल में
वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि इससे जुड़े जो भी व्यवसायी हैं, उनके लिए इस अनुदान का बड़ा हिस्सा मिला है. जो लोग भी इस व्यवसाय में आएंगे उन्हें पहले तीन साल तक सरकार कई तरह की छूट और अनुदान देगी. उन्होंने कहा कि मखाना के उद्योग के लिए ये सबसे अच्छी जगह है. उत्तर बिहार के करीब 10 जिलों में दुनिया का 80-90 फीसदी मखाना उपजाया जाता है. उन्होंने कहा कि मखाना इतना पौष्टिक होता है कि इसकी मांग पूरी दुनिया में लगातार बढ़ रही है. जब मांग ज्यादा हो और उत्पादन सीमित हो तो उस क्षेत्र में संभावनाएं बहुत ज़्यादा होती हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'पीएम मोदी ने अवसर को पहचान किया ऐलान'
डॉ. मनोज कुमार ने ये भी कहा कि पीएम मोदी ने इसी अवसर को पहचान कर मखाना की ब्रांडिंग के लिए पैकेज की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि इस इलाके में करीब 13 हजार हेक्टेयर तालाब और खेत में मखाना की खेती होती है. करीब ढाई लाख परिवारों का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार इससे जुड़ा हुआ है. डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि मखाना की ब्रांडिंग की घोषणा के साथ ही दरभंगा के मखाना अनुसंधान केंद्र का राष्ट्रीय दर्जा और इसकी स्वायत्ता भी वापस मिलने के आसार बढ़ गए हैं. इसके लिए दरभंगा सांसद गोपालजी ठाकुर ने संसद में आवाज उठाई है.

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बिहार सरकार ने भी दिया है मखाना उद्योग पर जोर
पीएम ने इससे पहले भी पिछले साल दरभंगा में मखाना उद्योग के विकास की बात कही थी. इसके अलावा बिहार सरकार भी इसको लेकर काफी कोशिश कर रही है. डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि जब मखाना की ब्रांडिंग के लिए इतनी कवायद होगी तो इसमें बेहतर अनुसंधान की भी जरूरत होगी. इसके लिए इस केंद्र की क्षमता बढ़ाने की जरूरत पड़ेगी. इसलिए इस केंद्र को उसका पुराना दर्जा वापस मिलने की भी उम्मीद जगी है.

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