दरभंगा: नेपाल की तराई में हो रही भारी बारिश की वजह से दरभंगा (Darbhanga) से होकर बहने वाली नदियां उफान पर हैं. इसकी वजह से एक बार फिर बाढ़ ने कई प्रखंडों को अपनी चपेट में ले लिया है. वहीं जिले के हनुमाननगर (Flood In Hanuman Nagar) प्रखंड क्षेत्र में बीते करीब एक महीने से भी ज्यादा वक्त से बाढ़ के पानी ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. वहीं अभी तक इस इलाके के कई परिवार को 6 हजार रुपये की सहायता राशि नहीं मिल पायी है. जिससे प्रशासन में लोगों के प्रति नाराजगी है.
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दरअसल, हनुमाननगर प्रखंड क्षेत्र पूरे जिला में एक ऐसा क्षेत्र है. जिसे वॉटर लॉकिंग एरिया माना जाता है. दो नदियों के बीच में बसे इस प्रखंड के लोगों को बाढ़ के समय में नारकीय जीवन व्यतीत करना मजबूरी हो जाती है. चारों तरफ से बाढ़ के पानी में घिरे घर में लोग रहने को मजबूर हैं. उन लोगों की भी अपनी एक मजबूरी है. लोग अभी प्रशासन से सूखा राशन की उम्मीद में टकटकी लगाए हुए हैं.
हालांकि, हनुमान नगर प्रखंड क्षेत्र को पूरी तरह से बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिया गया है. उसके बावजूद भी कुछ ही इलाकों में बाढ़ सहायता राशि के तौर पर ₹6000 दिए गए हैं. जिन क्षेत्रों में बाढ़ सहायता राशि नहीं मिली है वहां के लोगों की सरकार के खिलाफ नाराजगी है. लोगों का कहना था कि सरकार से मिलने वाली सहायता राशि अगर मिल जाती तो बाढ़ के समय में जीवन यापन करने में कुछ मदद मिल जाती.
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बता दें कि दरभंगा-समस्तीपुर रेलखंड (Darbhanga-Samastipur Railway Line) पर बागमती नदी का पानी हायाघाट और थलवारा स्टेशनों के बीच बने पुराने पुल पर खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है. यह पानी लगातार बढ़ता ही जा रहा है. पुल पर पानी बढ़ने के कारण पूर्व मध्य रेल ने 31 अगस्त से ट्रेनों का परिचालन बंद कर दिया है. इस इलाके की बड़ी आबादी के लिए ट्रेन ही आवागमन का एकमात्र सहारा है. अब इसके भी बंद हो जाने की वजह से लोगों को जिला मुख्यालय दरभंगा की 7 किलोमीटर की दूरी 30 किलोमीटर पैदल तय करनी पड़ रही है.
बता दें कि इस वर्ष 2021 में अब तक के आंकड़ों के अनुसार बिहार में बाढ़ से लगभग 16 जिले प्रभावित हुए हैं. इसके साथ ही करोड़ों की आबादी समस्याओं का दंश झेल रही हैं. उत्तर बिहार में 76% आबादी बाढ़ के खतरे में रहती है. देश में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का 16.5% बिहार में है. उत्तर बिहार के जिले में मॉनसून के दौरान कम से कम पांच प्रमुख नदियों महानंदा, कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक और गंडक लगभग हर साल बाढ़ लाती हैं. इसके अलावा दक्षिण बिहार भी पुनपुन और फल्गु नदी से बाढ़ की चपेट में आ जाता है.