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प्रसिद्ध कवि बाबा नागार्जुन की 110वीं जयंती, कई लोगों ने प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दी श्रद्धांजलि

दरभंगा (Darbhanga) में प्रसिद्ध कवि बाबा नागार्जुन की 110वीं जयंती पर LNMU में कई लोगों ने प्रतिमा पर माल्यापर्ण किया. एलएनएमयू (LNMU) के कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि उन्होंने हमेशा जनहित के मुद्दों को लेकर आवाज बुलंद की थी.

बाबा नागार्जुन की जयंती
बाबा नागार्जुन की जयंती

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Published : Jun 11, 2021, 9:17 PM IST

दरभंगा: हिंदी और मैथिली के प्रसिद्ध कवि बाबा नागार्जुन (Baba Nagarjuna) को उनकी 110वीं जयंती पर जन्मभूमि दरभंगा (Darbhanga) में श्रद्धांजलि दी गई. इस अवसर पर विद्यापति सेवा संस्थान की ओर से ललित नारायण मिथिला विवि (LNMU)के केंद्रीय पुस्तकालय परिसर स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया. इस कार्यक्रम में एलएनएमयू के कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने ऑनलाइन शिरकत की.

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ऑनलाइन संबोधन में कुलपतिप्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि शक्ति के उपासक बाबा नागार्जुन मूलतः विपक्ष के कवि थे. वे वर्चस्ववादी सत्ता के विरुद्ध प्रतिरोध की संस्कृति को आजीवन समृद्ध करते रहे. उनकी खासियत रही कि जनहित के विरुद्ध काम करने वालों को उन्होंने कभी नहीं बख्शा.

वहीं जेएनयू के प्रो. अमर पाशा ने अपने ई-संवाद में कहा कि बाबा नागार्जुन समतामूलक समाज निर्माण के प्रबल समर्थक थे. विडंबना है कि उनके बाद किसी ने इस दिशा में आवाज बुलंद करने की जहमत नहीं उठाई.

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मौके पर मौजूद कुलसचिव डॉ. मुश्ताक अहमद ने कहा कि यात्री-नागार्जुन वास्तव में जनता की व्यापक राजनीतिक आकांक्षा से जुड़े विलक्षण कवि थे. उनका विभिन्न भाषाओं पर गजब का एकाधिकार था.

उनकी रचनाओं में देसी बोली के ठेठ शब्दों से लेकर संस्कृतनिष्ठ शास्त्रीय पदावली तक उनकी भाषा के अनेक स्तर थे. यही कारण रहा कि मैथिली के अलावा हिन्दी, बांग्ला और संस्कृत में आम जन की आकांक्षाओं के पात्रों को केन्द्र में रखकर उन्होंने बहुत कुछ अलग से लिखा.

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