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तो क्या ममता की 'ज़िद' ने मांझी की नैया डुबो दी!

ममता बनर्जी के धरना से दिल्ली की मोदी सरकार की सेहत पर भले ही कोई फर्क न पड़ा हो, मगर बिहार की राजनीति में उथल-पुथल मच गया है. पूर्व सीएम जीतनराम मांझी की पार्टी पूरी तरह से बिखर गई है. एक दिन में ही दो बड़े 'महारथी' ने इस्तीफा दे दिया.

HAM

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Published : Feb 9, 2019, 2:36 AM IST

पटना: बुधवार को हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा में धड़ाधड़ दो इस्तीफे हुए. सुबह-सुबह राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने रिजाइन दिया तो दोपहर होते ही प्रदेश अध्यक्ष वृषिण पटेल ने जीतनराम मांझी का साथ छोड़ दिया. दोनों नेताओं ने एक-दूसरे पर इल्जाम लगाए. दानिश ने जहां वृषिण पर चंदे के पैसे में सेंधमारी का आरोप लगाया, वहीं, वृषिण ने इस्तीफे का कारण बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के धरना को लेकर मांझी के बयान को बताया.

वृषिण पटेल और दानिश रिजवान

वृषिण का मांझी पर इल्जाम
वृषिण पटेल की ओर से कहा गया है कि सीबीआई विवाद के बाद पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के धरना को लेकर समूचा विपक्ष एकजुट रहा. महागठबंधन भी ममता को समर्थन दे रहा था, लेकिन मांझी ने अलग बयान दिया. जो बताता है कि उनका झुकाव एनडीए की ओर है.
मांझी ने क्या कहा था?
हम अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने कहा था कि व्यक्तिगत तौर पर वे मानते हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा सीबीआई के खिलाफ दिया गया धरना जल्दबाजी में लिया गया निर्णय था, वे इसे वे उचित नहीं मानते हैं. बंगाल सरकार को न्यायालय का सहारा लेना चाहिए था.
दीदी का धरना तो महज बहाना!
दिखावटी तौर पर भले ही लगता हो कि ममता बनर्जी के मसले पर जीतनराम मांझी का रुख पार्टी में टूट की वजह है. मगर बात सिर्फ इतनी भर नहीं है. दरअसल दानिश रिजवान और वृषिण पटेल दोनों की अपनी-अपनी सियासी महत्वाकांक्षा है. दानिश जहां बड़ी पार्टी के बैनर तले अपना राजनीतिक भविष्य संजोना चाहते हैं, इसलिए एनडीए खेमे में उनका जाना तय है. वहीं, वृषिण लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं. हम पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने की संभावना नहीं के बराबर थी, लिहाजा सुरक्षित जगह की तलाश में जुट गए. चर्चा है कि महागठबंधन के अंदर ही दूसरे दल से उन्हें टिकट मिलने का भरोसा भी मिल चुका है.

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