पटनाः एक तरफ राज्य में सरकारी शिक्षा व्यवस्था का बूरा हाल है. वहीं, कदमकुंआ के रहने वाले कुछ ऐसे छात्र हैं जो समाज में शिक्षा को लेकर अलख जगा रहे हैं. वे स्लम बस्ती के बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रहे हैं.
दरअसल पटना के कदमकुआं क्षेत्र के लोहानीपुर स्थित अम्बेडकर पार्क में कुछ ऐसे युवा छात्र हैं जो स्लम एरिया में रहने वाले बच्चों को मुफ्त शिक्षा के साथ साथ व्यवहारिक संस्कार भी दे रहे हैं. ये युवा बीटेक और एमटेक के छात्र हैं. अंबेडकर पार्क में इनकी स्कूल शुरू होती है, जिसमें 20-30 बच्चे रोज पढ़ने आते हैं.
नर्सरी से लेकर दसवीं तक के बच्चे आते हैं पढ़ने पॉकेट मनी से बचाते हैं पैसे
समाज के हर तबके तक शिक्षा की अलख जगा रहे ये लोग बच्चों को पेंसिल, कॉपी, ब्लैक बोर्ड भी मुहैया कराते हैं. जब ईटीवी भारत के सवांददाता ने युवा छात्र रंजीत कुमार से बात कर पूछा कि खुद की पढ़ाई के खर्चे के साथ ये इन बच्चों के लिए पैसे कैसे बचा लेते हैं. इस पर उनका जवाब था कि उन्हें जो पॉकेट मनी मिलती हैं उसमें से बहुत थोड़ा भी बचाते हैं तो बच्चों के काम आ जाता है.
यहां लगन से पढ़ते हैं छात्र बच्चों के लिए निकालते हैं समय
शिक्षा दे रहे एक छात्र से पूछा गया कि आखिर वे लोग भी छात्र हैं ऐसे में हर दिन पार्क आकर बच्चों को पढ़ाने के लिए कैसे समय निकालते हैं? इस पर उनका जवाब था कि आज जहां अधिकतर युवा मौबाईल और इंटरनेट में समय लगा रहे हैं उसी को बचाकर वे समाज में शिक्षा को लेकर जागरूकता अभियान चला रहे हैं.
खुश हैं बच्चे
अंबेडकर पार्क में लगने वाली इस पाठशाला के बच्चों का कहना है स्कूल से आने के बाद वह सीधे अंबेडकर पार्क ट्यूशन लेने चले जाते हैं. यहां उन्हें बहुत अच्छा लगता है. पढ़ाई में उन्हें काफी मदद मिलती है वे यहां आकर बेहद खुश हैं.
क्या कहते हैं परिजन
वहीं लोहानीपुर स्लम एरिया और राजेंद्र नगर स्लम एरिया के बच्चों के परिजनों का कहना है कि हम पहले ट्यूशन में 400 रूपए देते थे, क्योंकी सरकारी स्कूल में पढ़ाई कहां होती है. वहीं, अब बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल रही है वो भी निशुल्क. उनका कहना है कि बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ अच्छी बाते भी सीख रहे हैं. इससे वे बेहद खुश हैं.
अम्बेडकर पार्क में बच्चों को शिक्षा दे रहे ये युवा आज से नहीं बल्कि 2016 से इस कार्य मे लगे हुए हैं. बिना किसी निजी स्वार्थ के ये छात्र स्लम एरिया में रहने वाले बच्चो के बीच शिक्षा की अलख जगा रहे हैं.