बक्सर:बिहार के बक्सर जिले में शारदीय नवरात्र (Sharadiya Navratr) की पावन अवसर पर पूरा माहौल भक्तिमय हो गया है. शहर से लेकर देहात तक मां दुर्गा की प्रतिमा विभिन्न रूपों में स्थापित की गई है. प्रतिमा स्थल को मनमोहक पंडालों (Adorable Pandals in Buxar) से सजाया गया है. जहां देवी मंत्र (Goddess Mantra) और देवी गीतों से पूरा इलाका मां दुर्गा की भक्ति में सराबोर है.
ये भी पढ़ें-महानवमी पर मां बगलामुखी की विशेष पूजा-अर्चना, दही-हल्दी और दूभ चढ़ाने से पूरी होती मनोकामना
हालांकि बक्सर में कोरोना संक्रमण को देखते हुए एहतियातन किला मैदान में होने वाला रावण वध का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है. अनुमंडल पदाधिकारी धीरेंद्र मिश्रा ने कहा कि- 'चूंकि पिछले दिनों कोरोना संक्रमण से काफी जान-माल का नुकसान हुआ है. इसीलिए उससे बचाव के लिए इस वर्ष सामूहिक आयोजन पर रोक लगाई है. सबकुछ ठीक रहा तो आगे फिर धूमधाम से मनाया जाएगा.'
शारदीय नवरात्र में भक्त मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना करते हैं. नवमी के दिन माता की पूजा-आराधना करने का अलग ही महत्व है. मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु वर्ष में दो बार नवरात्रि की उपासना करते हैं. पहला चैत्र नवरात्र के नाम से जाना जाता है तो दूसरा आश्विन मास में किया जाता है. जिसको शारदीय नवरात्र कहा जाता है.
ये भी पढ़ें-121 नरमुंड पर स्थापित है श्मशान काली का यह मंदिर, तांत्रिक,अघोरी का हुआ करता था 'महाविद्यालय'
इस वर्ष शारदीय नवरात्र की शुरुआत सात अक्टूबर को हुई. नवरात्र की समाप्ति 15 अक्टूबर को हो रही है. महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है. इस बार के शारदीय नवरात्र में मां का आगमन घोड़ा पर हुआ जबकि विदाई गज पर होगी. नवरात्र पर्व में माता के 9वें दिन पूजा-अनुष्ठान शुरू करने से पहले स्नान आदि करके साफ-सुथरे वस्त्र पहना जाता है.
धरती माता, गुरुदेव, इष्टदेव को नमन करने के बाद गणेश जी का आवाहन करते हुए, षोडश मातृका, सप्त घृत मातृका, नवग्रह की पूजा करने के बाद माता की पूजा आरंभ की जाती है. माता दुर्गा की पूजा अर्चना के बाद मां सप्तशती का पाठ किया जाता है. नवरात्र पर्व के अंतिम दिन मां भगवती के सिद्धिदात्री स्वरूप का पूजन किया जाता है. इस दिन हवन करने का बहुत बड़ा महत्व है. मनवांछित फल मिलता है साथ ही पूजा अर्चना के दौरान जो गलती या त्रुटियां हुई है, वह हवन करने से दूर होती है.