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बक्सर: जीर्णोद्धार की बाट जोह रहा वेदसिरा मुनि आश्रम, लाल बहादुर शास्त्री ने किया था शिलान्यास

बक्सर रेलवे स्टेशन रोड के किनारे स्थित वेदशिरा मुनि का आश्रम सालों पुराना है. वेदशिरा मुनि के ही नाम पर बक्सर का नाम 'व्याघ्रसर' था. लेकिन आज यह आश्रम अपनी जीर्णोद्धार का बांट जोह रहा है.

वेदशिरा मुनि आश्रम

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Published : Sep 14, 2019, 2:50 PM IST

बक्सर:गंगा नदी के तट पर स्थित ये शहर काफी ऐतिहासिक है. इसका इतिहास गौरवपूर्ण रहा है. बक्सर में गुरु विश्वामित्र का आश्रम था. यहीं पर राम और लक्ष्मण का प्रारम्भिक शिक्षण-प्रशिक्षण हुआ. प्रसिद्ध ताड़का राक्षसी का वध भगवान राम ने यहीं पर किया गया था. यहां एक सालों पुराना वेदसिरा मुनि का आश्रम है. वेदसिरा मुनि के ही नाम पर बक्सर का नाम 'व्याघ्रसर' था. लेकिन आज यह आश्रम अपनी जीर्णोद्धार का बांट जोह रहा है.

ब्याघ्रसर से बक्सर तक का सफर तय करते करते यह धार्मिक नगरी कहीं न कहीं अपने मूल व वास्तविकता से भटक गया है. आलम यह है कि बक्सर की प्राचीनता क्या है, वास्तविकता क्या है यह लोग भूल गये है. बक्सर रेलवे स्टेशन रोड के किनारे स्थित वेदशिरा मुनि का आश्रम सालों पुराना है. यह एक विशाल लाताब के किनारे स्थित है. इस आश्रम की महत्ता का अंदाजा यहां शिलान्यास के समय लगे शिलापट्ट पर नजर दौड़ाने से ही लग जाएगा.

लाल बहादुर शास्त्री ने किया था आश्रम का शिलान्यास

29 दिसंबर 1957 को लाल बहादुर शास्त्री ने किया था शिलान्यास
लाल बहादुर शास्त्री ने 29 दिसंबर 1957 को इस आश्रम का शिलान्यास किया था. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बक्सर के सिद्ध तपस्वी वेदशिरा मुनि एक बार दुर्वासा ऋषि से शापित हो गए. फलस्वरूप इनका धड़ तो मनुष्य का रहा लेकिन सिर व्याघ्र का हो गया. इसके बाद वेदशिरा मुनि ब्याघ्रसर कहलाने लगे. उन्हीं के नाम पर इस नगर का नाम ब्याघ्रसर पड़ गया, जिसे बाद में बदलकर बक्सर किया गया.

जानकारी देते वेदशिरा मुनि आश्रम के महंथ

पंचकोशी परिक्रमा मेले के दौरान सैकड़ों लोग आते हैं यहां
मनुष्य से ब्याघ्र का सिर पाकर महर्षि नेअठासी हजार ऋषियों के साथ यहां यज्ञ किये. बाद में उन्हें बताया गया कि आश्रम के बगल में स्थित तालाब में स्नान करने से उन्हें इस ब्याघ्र के सिर से मुक्ति मिल सकती है. तब वेदशिरा मुनि इसी पवित्र कमल दह तालाब में अगहन माह के एकादशी तिथि को स्नान कर महर्षी दुर्वासा के शाप से मुक्ति हुए. तब से लेकर आज तक पंचकोशी परिक्रमा मेले के दौरान सैकड़ों लोग यहां पुण्य प्राप्ति के लिए स्नान करने आते हैं.

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