अगुवानी पुल गिरने पर नीतीश और तेजस्वी पर भड़के अश्विनी चौबे बक्सर : केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर फिर जोरदार हमला बोला. उन्होंने कहा कि अगुवानी पुल का कमीशन चाचा और भतीजा खाएं और पुल गिरने का जिम्मेवार दूसरी राजनीतिक पार्टी के लोगों को बताएं. उन्होंने सवाल उठाते हुए पूछा कि आखिर बिहार में एक ही अधिकारी को बिहार को सभी विभाग क्यों दिया जाता है.
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''कमीशन के लालच में भ्रष्टाचार की वेदी पर बिहार की बलि चढ़ा रहे हैं पलटू और उलटू राम और दोषी केंद्र को ठहरा रहे हैं. बिहार की जनता सब जानती है. 2024 के चुनाव में पलट कर उलाट देगी''- अश्विनी चौबे, केंद्रीय मंत्री
अगुवानी पुल पर आर पार : दरअसल अश्विनी चौबे पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में 62 करोड़ की लागत से बने गोकुल जलाश का जीर्णोद्धार करने बक्सर आए हुए थे. इसी दौरान उन्होंने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए नीतीश और तेजस्वी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि अगुवानी पुल की मलाई पलटू राम और उलटू राम खाये और पुल टूटने का जिम्मेवार केंद्र सरकार को बताएं. बिहार की जनता सब कुछ देख रही है. 2024 के लोकसभा चुनाव में इन्हें पलटकर उलाट देगी.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे
'अगुवानी पुल का कमीशन खाये हैं चाचा भतीजा': वहीं, गंगा नदी पर निर्माणाधीन अगुवानी पुल गिरने के मामले को लेकर एक बार फिर उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि पुल का माल चाचा और भतीजा मिलकर खा गए. ये लोग अगर कमीशन नहीं खाए हैं तो क्यों नहीं CBI से इसकी जांच करा लेते हैं.
23 जून की बैठक पर चौबे का तंज: वहीं, महागठबंधन की 23 जून के होने वाले बैठक पर तंज कसते हुए अश्विनी चौबे ने कहा कि बैठक कर ले या गले मिल लें, बिहार की जनता इनको उलाटने के लिए पहले से ही तैयार बैठी हुई है. आखिर बिहार में एक ही अधिकारी को सभी विभाग का जिम्मेवारी क्यों दे दिया जा रहा है. इससे साफ हो जाता है कि जितना अधिक से अधिक कमीशन देने वाला अधिकारी होगा, उसी को सारा विभाग दे दिया जाएगा. इसी भ्रष्टाचार की बेदी पर आज बिहार की बलि ये लोग चढ़ा रहे हैं
मिशन 2024 पर जुटीं हैं पार्टियां: गौरतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टी के नेता पूरे जोशो खरोश के साथ जनता को अपने पक्ष में गोलबंद करने में लगी हुई है. एक तरफ भारतीय जनता पार्टी के नेता जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 9 साल के कार्यकाल को बेमिसाल बताते हुए, जनसंवाद कर रहे हैं, वहीं महागठबंधन के नेता 18 दलों के ताकत को एक जुट कर नरेन्द्र मोदी को चुनौती देने की तैयारी में लगे हैं. लेकिन दोनों की रणनीति कितनी कामयाब होती है ये समय ही बताएगा.