बक्सर:कोरोना महामारी (Corona Pandemic) की दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी कमी हो गई थी. समय पर ऑक्सीजन नहीं मिलने से कई मरीजों की जान चली गयी थी. वहीं, बिहार के बक्सर जिले में पीएम केयर फंड से 2 ऑक्सीजन प्लांटलगाये जा रहे हैं. जिससे भविष्य में कोरोना की तीसरी लहर के दौरान लोगों को ऑक्सीजन की किल्लत का सामना नहीं करना पड़े.
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पीएम केयर फंड (PM Care Fund) से बक्सर में 2 ऑक्सीजन प्लांट स्थापित हो रहे हैं. जबकि सदर विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी की पहल पर एसजेवीएन कंपनी के माध्यम से सीएसआर फंड से एक ऑक्सीजन प्लांट लगाया जा रहा है. जिससे ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी की जान न जाये.
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बक्सर सदर अस्पताल में 150 बेड पर जबकि डुमराव अनुमंडल अस्पताल में 100 बेड पर ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए जिला मुख्यालय में दो और डुमराव अनुमंडल में एक प्लांट लगाया जा रहा है. यह ऑक्सीजन प्लांट एक सप्ताह में पूर्ण रूप से तैयार हो जाएगा.
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'प्रधानमंत्री केयर फंड से जिले को 2 ऑक्सीजन प्लांट प्राप्त हुआ है. एक ऑक्सीजन प्लांट बक्सर सदर अस्पताल में जबकि दूसरा डुमराव अनुमंडल अस्पताल में लगाया जा रहा है. जिला मुख्यालय में मरीजों की अधिक संख्या को देखते हुए एसजेवीएन पावर प्लांट के माध्यम से सीएसआर फंड से भी एक ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण कराया जा रहा है. जिले के दोनों अनुमंडल में 250 बेड पर ऑक्सीजन की व्यवस्था रहेगी. जिससे की किसी भी मरीज को जरूरत के अनुसार ऑक्सीजन मिल सके.'-जितेंद्र नाथ, सिविल सर्जन
सिविल सर्जन जितेंद्र नाथ ने बताया कि जिला मुख्यालय के सदर अस्पताल में 10 बेड का स्पेशल शिशु वार्ड (Special Child Ward) बनाया जा रहा है. जहां ऑक्सीजन समेत तमाम सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी. कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तैयारी कर रहा है. उन्होंने कहा कि यदि सभी लोग कोरोना गाइडलाइन का पालन ठीक से करेंगे तो तीसरी लहर से आसानी से बचा जा सकता है.
बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बक्सर जिले में नदियों से शव मिलने का सिलसिला थम नहीं रहा था. गंगा नदी में सैकड़ों शव मिलने के बाद राजनीति में भूचाल सा गया था. दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन के अभाव में लोग तड़प-तड़पकर दम तोड़ रहे थे. वहीं एंबुलेंस के अभाव में शव अस्पतालों में पड़ा रहता था.
श्मशान में लाशें अपनी बारी का इंतजार कर रही थीं. दाह संस्कार के लिए जगह नहीं मिलने पर शवों को गंगा नदी में फेंकना शुरू कर दिया गया था. वहीं एक बार फिर अगस्त के अंत तक कोरोना की तीसरी लहर आने की बात कही जा रही है. जिससे निपटने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों ने पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है.