बक्सर: शिक्षा विभाग के एसीएस आईएएस केके पाठकके बक्सर आने की अफवाह ने मुखिया जी की नींद उड़ा दी. बताया जाता है कि नियुक्ति के बाद से ही स्कूल छोड़ वर्षों से दिल्ली में आराम फरमा रही मुखिया जी की बहू भागी-भागी बक्सर पहुंची. उसे स्कूल जाते देख ग्रामीण भी हैरान थे. बच्चों ने भी उसे कभी नहीं देखा था. स्कूल में नई शिक्षिका के स्कूल में आने का छात्र-छत्राओं ने राज खोला को सब अचंभित रह गए. शिक्षा विभाग के एसीएस के खौफ से छात्र छात्राओं का भविष्य संवरने लगा है.
ये भी पढ़ें :Buxar News: केके पाठक के बक्सर आने की अफवाह, गुरुजी हुए अलर्ट तो बदल गई स्कूल की तस्वीर
वर्षों से दिल्ली में रह रही थी शिक्षिका : जानकारी के अनुसार प्रधानाध्यपक को मैनेज कर वर्षों से दिल्ली में रह रही मुखिया जी की बहू भी नियुक्ति के वर्षों बाद पहली बार हाथ में डस्टर और चाक पकड़ ली है. जिले के राजपुर प्रखण्ड के एक पंचायत के पावर स्टार मुखिया जी की बहू इन दिनों चर्चा में है. अपने पावर के बदौलत मुखिया जी ने न केवल बहू को शिक्षक बनाया था, बल्कि अपनी पहुंच की बदौलत नियुक्ति के बाद से ही बहू को दिल्ली भेज दिया था. लेकिन केके पाठक के जिले में आने मात्र की अफवाह से मुखिया जी की पावर धरी की धरी रह गई और बहू भागते हुए दिल्ली से बक्सर पहुंचकर स्कूल में पढ़ना शुरू कर दी.
शिक्षा विभाग में बहुत झोल : मुखिया जी की बहू को स्कूल में देख, स्कूल के ही एक शिक्षक ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि, शिक्षा विभाग से ज्यादा झोल कहीं नहीं है. प्रधानाध्यापक को अपने वेतन में से कुछ राशि देना होता है और एक छुट्टी का आवेदन लिखकर हस्ताक्षर के साथ स्कूल प्रशासन के पास जामा रहता है. इस पर तारीख नहीं डाला जाता है. जब कोई भी वरीय अधिकारी जांच में आते हैं, तो आवेदन में डेट डालकर यह दर्शा दिया जाता है , कि वह छुट्टी पर हैं और शिक्षक आराम से दिल्ली मुंबई घूमते रहते हैं.
अफवाह ने बदली स्कूलों की सूरत : ऐसा मामला केवल राजपुर प्रखण्ड से ही नहीं आया है. ब्रह्मपर , केसठ, डुमराव, में भी कई शिक्षक स्कूल से दूर रहकर अपना खुद का बिजनेस चला रहे थे, लेकिन केके पाठक के आने के अफवाह के बाद स्कूल जाना शुरू कर दिए हैं गौरतलब है कि केके पाठक की बक्सर में आने की उड़ी अफवाह ने स्कूलों की सूरत बदल दी है. जहां 30-40 प्रतिशत बच्चे भी स्कूल में नियमित रूप से नहीं रहते थे. बेहतर पढ़ाई होने के कारण उनकी उपस्थित 80 प्रतिशत से ज्यादा हो गई है. केके पाठक के कारण विभाग में आये बदलाव से आमलोगों में खुशी की लहर है.