बक्सर: 15 सूत्री मांगों को लेकर जिला में संविदा पर बहाल स्वास्थ्य कर्मी 4 दिनों से हड़ताल पर हैं. सदर अस्पताल में तैनात जीएनएम नर्सों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोरोना जांच में लगा दिया गया है. इस वैश्विक महामारी में निजी अस्पताल बन्द हैं.
सरकारी अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है. सड़क दुर्घटना और इमरजेंसी मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर भी मनमर्जी से अस्पताल आ रहे हैं. जिससे सरकार के प्रति लोगों में असंतोष की भावना बढ़ती जा रही है.
सदर अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे रविन्द्र पांडेय ने बताया कि वो 2 घंटे से डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी को खोज रहे हैं. लेकिन किसी से मुलाकात नहीं हुई. उन्होंने कहा कि जब सरकार को पता है कि अस्पताल में सरकारी स्वास्थ्य कर्मी नहीं आते हैं, तो संविदा पर बहाल स्वास्थ्य कर्मियों से बात करना चाहिए.
लोग जीवित रहेंगे तभी कर पाएंगे मतदान
वहीं व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता सह सामाजिक कार्यकर्ता मनोज यादव ने कहा कि गरीब कोरोना के इलाज कराने के लिए छटपटा रहा है और सरकार को चुनाव दिखाई दे रहा है. सरकार संविदा स्वास्थ्य कर्मियों से बात कर इनकी समस्या दूर करे. जिससे सबको इलाज की सुविधा मिल सके. लोग जीवित रहेंगे तभी तो मतदान करेंगे.
इलाज के लिए दर दर भटक रहे मरीज कांग्रेस ने कसा तंज
सदर अस्पताल में उत्पन्न अव्यवस्था पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष तथागत हर्षवर्धन ने राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार तो संवेदनहीन हो ही गई है. यहां के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की भी इंसानियत मर गयी है. ये लोग दर्द से छटपटा रहे मरीजों को छोड़कर अपने-अपने निजी क्लीनिक में उपचार कर रहे हैं.
अस्पताल से गायब हैं डॉक्टर
सदर अस्पताल में मौजूद प्रधान लिपिक से जब स्वास्थ्य कर्मियों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि अव्यवस्था तो उत्पन्न होगी ही, मैनेजर से लेकर पर्ची काटने वाले भी हड़ताल पर चले गए है. बता दें कि संविदा पर बहाल स्वास्थ्य कर्मी हड़ताल पर है. मरीज सीढ़ियों पर बैठकर डॉक्टर का इंतजार कर रहे हैं. वहीं डॉक्टर अस्पताल से गायब हैं.