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रोहतास के बाद अब बक्सर में भी घिरीं प्रेम स्वरूपम, नगर परिषद में ई-रिक्शा खरीदारी में करोड़ों का घोटाला

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Published : May 25, 2022, 11:49 AM IST

Updated : May 25, 2022, 12:21 PM IST

इन दिनों झारखंड की एक भ्रष्ट महिला अधिकारी पूजा सिंघल काफी सुर्खियों में हैं लेकिन महिला घोटलेबाजों की इस लिस्ट में बिहार की भी एक महिला अधिकारी का नाम सामने आ रहा है. जिन पर बिक्रमगंज और बक्सर नगर परिषद (Buxar Municipal Council) में ई रिक्शा खरीदारी के नाम पर करोड़ों रुपये की हेराफेरी के आरोप लगे हैं. जानिए क्या है पूरा मामला....

कार्यपालक पदाधिकारी प्रेम स्वरूपम
कार्यपालक पदाधिकारी प्रेम स्वरूपम

बक्सरःरोहतास के बाद अब बिहार केबक्सर नगर परिषद में भी लाखों का घोटाला (Scam In E Rickshaw Purchase In Buxar) उजागर हुआ है. ये घोटाला भी उसी महिला अधिकारी के कार्यकाल में हुआ है, जो कभी रोहतास नगर परिषद में थीं और वहां भी लाखों की हेराफेरी के मामले में उन पर केस दर्ज है. दरअसल बक्सर में नगर की सफाई के नाम पर हर महीने 45 लाख की राशि खर्च की जा रही है लेकिन इसका ब्योरा कहीं नहीं है. परिषद के अधिकारी दोनों हांथों से जनता के टैक्स के पैसे को लूटने में लगे हुए हैं. मामला उजागर होने के बाद जब कार्यपालक पदाधिकारी प्रेम स्वरूपम (Executive Officer Prem Swarupam) से पूछा गया तो उन्होंने गोलमटोल जवाब दिया.

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बक्सर में ई रिक्शा खरीदारी में करोड़ों का घोटाला:दरअसल शहर की साफ सफाई को लेकर नगर परिषद के अधिकारियों द्वारा गीला कचरा और सूखा कचरा अलग-अलग उठाव करने के लिए 40 नए वाहनों की खरीदारी लगभग 7 महीने पहले की गई थी. इन वाहनों को नगर की सफाई कराने वाले एनजीओ को किराए पर उपलब्ध कराना था लेकिन तब से लेकर आज तक सभी नए वाहन नगर परिषद कार्यालय कैंपस की शोभा बढ़ा रहे हैं. 40 नई गाड़ियों के सहारे 42 वार्डों से कूड़ा उठाव का काम सिर्फ कागजों पर ही हो रहा है. किराए के रूप में हर महीने नगर परिषद के अधिकारी 63 हजार की वसूली कर रहे हैं. जबकि जमीन पर कुछ भी नहीं हो रहा है. शहर के कचरे को उठाकर ऐतिहासिक किला मैदान, जिला अतिथि गृह, बाईपास नहर, लॉ कॉलेज , सदर अस्पताल, ठोरा नदी, विश्राम सरोवर, सिंडिकेट नहर में डंप कर दिया जा रहा है.

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अधिकारी डकार गए 24 लाख कमीशन:नगर परिषद के अधिकारियों को किराए के रूप में एनजीओ द्वारा लगभग 63 हजार 300 रुपये का भुगतान किया जा रहा है. वहीं विभाग के सूत्रों की मानें तो इस वाहन की खरीदारी में भारी अनियमितता हुई है. कमीशन के लालच में इन वाहनों को खरीद लिया गया और 24 लाख का कमीशन अधिकारी डकार गए. कई वार्ड पार्षदों के द्वारा आरटीआई के माध्यम से वाहन की खरीददरी से संबंधित जानकारी मांगी गई, लेकिन विभागीय अधिकारी बहाना बनाकर टालते गए.

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एनजीओ पर महेरबान क्यों नप के अधिकारीःनए परिसीमन के बाद नगर परिषद क्षेत्र के कुल 42 वार्ड की साफ सफाई के लिए नप के अधिकारियों के द्वारा एनजीओ को 45 लाख रुपये की राशि हर महीने भुगतान की जाती है. एनजीओ अपने संसाधन से नगर की साफ सफाई की व्यवस्था करता है. उसके बाद भी नप के अधिकारी नगर की साफ सफाई कराने वाली उस एजेंसी पर इतना मेहरबान क्यों है? इन एनजीओ को देने के लिए करोड़ों रुपये के वाहन की खरीदारी कर ली गई. सभी वाहन महीनों से जाड़ा, गर्मी और बरसात में खुले आसमान के नीचे सड़ रहे हैं. जिसका एक बार भी इस्तेमाल नहीं किया गया. जबकि कागजों पर ये सभी वाहन चल रहे हैं और एनजीओ द्वारा किराए का भुगतान भी किया जा रहा है.


वहीं, जब कार्यपालक पदाधिकारीसे यह पूछा गया कि जब सभी वाहन नगर परिषद के कार्यालय कैंपस में कई महीनों से खड़े हैं, तो फिर कागजों में इसका किराए का भुगतान कैसे किया जा रहा है. इस पर सफाई देते उन्होंने कहा कि 40 वाहनों में से कुछ वाहन ही अभी एनजीओ के द्वारा वार्डों की सफाई में चलाया जा रहा है. जबकि किराए के रूप में सभी वाहनों के पैसे का भुगतान एनजीओ के द्वारा किया जाता है. हालांकि वाहन की खरीदारी में कितनी राशि खर्च हुई, इसका जवाब वो नहीं दे सकीं.

'शहर की साफ सफाई कराने के लिए 40 वाहनों की खरीदारी कुछ महीने पहले की गई थी. सभी वाहन को साफ सफाई कराने वाली एजेंसी को किराए पर दे दिया गया है. उस एजेंसी द्वारा हर महीने नगर परिषद को सभी वाहनों का किराए 61,300 रुपये दिए जा रहे हैं'- प्रेम स्वरूपम, कार्यपालक पदाधिकारी

निवर्तमान वार्ड पार्षद ने लगाए कई आरोपः वहीं, वार्ड नंबर 27 के निवर्तमान वार्ड पार्षद राकेश कुमार सिंह ने जिला प्रशासन एवं नगर परिषद के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जिस वाहन की कीमत मात्र डेढ़ लाख रुपये है, उस वाहन की खरीदारी नगर परिषद के अधिकारियों द्वारा 2 लाख 95 हजार रुपये में की गई. जिसकी जानकारी आरटीआई के माध्यम से हमने मांगी थी. जिसमें इस बात का खुलासा हुआ और इन वाहनों की खरीददारी उस समय की गई, जब नगर परिषद का बोर्ड भंग हो गया था, जिससे कि विरोध न हो.

'ये हमारी पूरी जानकारी में है कि अधिकारियों की मिलीभगत से ई-रिक्शा खरीदारी में करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं. जो वाहन डेढ़ लाख में मिल जाता है. उसे 2 लाख 95 हजार रुपये में खरीदा गया. कई वाहन ऐसे ही नगर निगम में पड़े हुए हैं, सिर्फ कागज पर खानापूर्ती हो जाती है. निगम को हर महीने 2 हजार रुपये प्रति वाहन किराया सफाई ऐजंसी द्वारा दिया जा रहा है.' -राकेश कुमार सिंह, निवर्तमान वार्ड पार्षद

बिक्रमगंज नगर परिषद में भी हुआ था ऐसा ही घोटालाः आपको बता दें कि प्रेम स्वरूपमजब रोहतास के बिक्रमगंज नगर परिषद में कार्यपालक पदाधिकारी थीं, तो वहां भी इसी तरह का घोटाला हुआ था. हाल ही में ये घोटाला भी उजागर हुआ. जहां ई-रिक्शा और सड़क पर लगाए गए मेटालिक सिग्नेचर साइन बोर्ड पर 1 करोड़ 90 लाख से अधिक के राशि भुगतान में वित्तीय अनियमितता का मामला प्रकाश में आया है. मामले को लेकर प्रेम स्वरूपम पर रोहतास के डीएम धर्मेंद्र कुमार के आदेश पर एफआईआर भी दर्ज की गई है.

महिला अधिकारी पर उठने लगे हैं सवालः गौरतलब है कि बिक्रमगंज में स्थानीय लोगों और पत्रकार द्वारा साईन बोर्ड व ई रिक्शा में वित्तीय घोटाले की लिखित शिकायत की गई थी. पूरे मामले की अनुमंडल पदाधिकारी के नेतृत्व में गहन जांच कराई गई. मिली रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन EO प्रेम स्वरूपम सहित नप कर्मी भी दोषी पाए गए. जांच के दौरान भारी वित्तीय अनियमितता उजागर हुई, जिसके बाद डीएम धर्मेंद्र कुमार द्वारा संबंधित कार्यपालक पदाधिकारी प्रेम स्वरूपम जो अभी बक्सर में कार्यपालक पदाधिकारी हैं, उनको शोकॉज भेजा गया है. अब उन्हीं के कार्यकाल में बक्सर नगर परिषद में भी ठीक वैसा ही मामला उजागर होने के बाद इस महिला अधिकारी पर सवाल उठना लाजमी है.

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Last Updated : May 25, 2022, 12:21 PM IST

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