बक्सर: बिहार के बक्सर स्थित अहिल्या धाम अहिरौली में आयोजित सनातन संस्कृति समागम के दूसरे दिन अंतराष्ट्रीय संत सम्मेलन का शुभारंभ आज हुआ. मुख्य अतिथि संघ प्रमुख मोहन भागवत(RSS Chief Mohan Bhagwat in Buxar), जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी, जगत गुरु लक्ष्मीप्रपन्ना जी, जगत गुरु स्वामी अनंताचार्य जी और केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. इस दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने देश के विकास को लेकर सभी नागरिकों को पुरुषार्थ करने की बात कही. वहीं संतों ने भी अपने संबोधन में पीओके और अक्साई चिन के हिस्से को भारत में मिलाने का संकल्प लिया.
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राष्ट्र के विकास के लिए पुरुषार्थ जरूरी: मुख्य अतिथि मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा की संत दूसरे के लिए कार्य करते हैं उनके मन में अपने लिए कुछ भी नहीं रहता है. इसीलिए संतों की इच्छा और वाणी का सम्मान ईश्वर भी रखते हैं. कहा भी गया की 'होइहें वही जो राम रचि राखा', इच्छा पूर्ण करने के लिए कर्म करना पड़ता है, पुरुषार्थ करना पड़ता है, त्याग करना पड़ता है. श्री राम ने अपने जीवन में ये सभी कार्य किए हैं. वो चाहते तो एक क्षण में रावण की पूरी सेना को समाप्त कर सकते थे. मगर समाज को संदेश देने के उद्देश्य से श्री राम ने अपने सभी सुखों का त्याग की किया. सभी लोगों को आगे करने का कार्य किया. उनके साथ सभी को कर्म करना पड़ा. कष्ट सहना पड़ा तब जाकर इस धरती को रावण जैसे कई दुष्टों से मुक्ति मिली. हम सभी को अपने लक्ष्य हेतु कर्म करना पड़ेगा, कष्ट सहना पड़ेगा तब जाकर राष्ट्र परम वैभव को प्राप्त करेगा. मन में राम रखो, जप करो, कर्म करो, धर्म करो जैसे किसान कर्म करता है. तभी सभी का भला होता है.
"इच्छा पूर्ण करने के लिए पुरुषार्थ करना पड़ता है. भगवान राम विष्णु के अवतार थे. चाहते तो शेष नाग की शैया पर लेटे लेटे भृकुटी टेढ़ी कर देते तो रावण का अंत ऐसे ही हो जाता. लेकिन उन्होंने पुरुषार्थ किया. इसके लिए त्याग किया. यही संदेश राम ने दिया. लक्ष्य सिद्धि के लिए कर्म जरूरी है. कष्ट सहना पड़ेगा. तब हमारा राष्ट्र वैभव को प्राप्त करेगा. मन में राम रखो, जप करो और कर्म करो. जैसे किसान करता है"- मोहन भागवत, संघ प्रमुख
POK और अक्साई चिन को फिर करेंगे भारत में शामिल: संत रामभद्राचार्य जी महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि बक्सरवासियों अब 'याचना नहीं रण होगा, संग्राम बड़ा भीषण होगा'. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर चीन द्वारा कब्जा किया गया 800 वर्ग मील भूमि बहुत जल्द भारत का अंग होगा. राष्ट्रीय समस्याओं पर सभी संतों का एक मत होना चाहिए. कुछ लोग धर्म परिवर्तन करा रहे हैं हमें अब परावर्तन करने का कार्य करना चाहिए. संत ज्ञानानन्द जी महाराज जी ने कहा की राम समरसता सद्भावना सहयोग और समर्पण के प्रतीक है. उन्होंने निषादराज केवट को भ्राता कहा तो सवरी को माता. आज पूरे मानवता के कल्याण के लिए केवल एक ही शब्द है राम. श्री राम आचरण ही हम सभी के कल्याण का आधार हैं.
पर्यावरण बचाने के लिए पेड़ लगाना जरूरी: स्वामी चिंदानद सरस्वती जी महाराज ने कहा की आज हमे बाहर और भीतर के पर्यावरण को बचाने हेतु अधिक से अधिक पेड़ लगाना चाहिए. मैं इस बावन भगवान की जन्मभूमि से जिन्होंने इस धरती को बचाने के लिए ही राजा बलि से तीन पग भूमि मांग कर उन्हे पाताल लोक भेजा. आज मैं आप सभी से धरती को बचाने का आग्रह करता हूं. चिदानंद सरस्वती जी महाराज ने केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे जी को इस आयोजन हेतु प्रशंसा की और सामाजिक जीवन में होते हुए भी इतने संतों को एक मंच पर लाने का सफल कार्य किए.
देश के समस्याओं की कीमो थेरेपी जरूरी: जूनागढ़ आखाड़ा के स्वामी ने कहा कि कैंसर की बीमारी को खत्म करने के लिए अपरेशन करना पड़ता है उसके बाद भी कुछ टिस्सू बच जाते हैं जिन्हें कीमो थिरेपी करके मारा जाता है. उसी प्रकार देश की कई समस्याओं का ऑपरेशन तो किया गया मगर कीमो थिरेपी नहीं की गई. उसके बाद बार-बार कैंसर रूपी समस्या देश के सामने आ रही है. उन्होंने खत्म करने के लिए अब आवश्यकता है कीमो थिरेपी की. रामविलास वेदांता जी महाराज ने कहा की बक्सर की धरा पर सौ वर्षो तक भगवान विष्णु ने, कई हजार वर्षों तक ऋषि कश्यप और मां अदिति ने तपस्या किया था जब वामन भगवान का अवतार हुआ था. इसी धरती पर महर्षि विश्वामित्र के सानिध्य में श्री राम को कई शक्तियां प्राप्त हुईं. तब जाकर प्रभु श्री राम ने भगवान के शिव के धनुष को खंडित कर माता सीता को प्राप्त किया.
बक्सर से विश्व शांति का संदेश: जगत गुरु अनंताचार्य जी महाराज ने कहा की श्री राम का जन्म भले ही अयोध्या में हुआ हो मगर उन्हें धरा पर लाने के श्रेय बिहार के सृंगी ऋषि को जाता है. भारत भूमि का वैभव वापस लाने के लिए राम राज की स्थापना जरूरी है और राम राज के लिए भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना होगा. अगर बक्सर आज प्रतिज्ञा कर ले तो पूरे विश्व में शांति की स्थापना हो जायेगा. ऐसा बक्सर में महर्षि विश्वामित्र के नेतृत्व में पूर्व में तड़का मारीच सुबाहु का अंत कर विश्व में शांति स्थापना किया था. मंच का संचालन जगत गुरु रामानुजाचार्य लक्ष्मी प्रपन्ना जियर स्वामी जी महाराज के द्वारा किया गया. धन्यवाद ज्ञापन विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा आर एन सिंह ने किया.