बक्सर:कोरोना वायरस से बचाव को लेकर देशभर में लॉक डाउन लागू कर दिया गया है. इस लॉक डाउन से आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है. दिहाड़ी मजदूर और उनके परिवार का हाल बेहाल है. इनके लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकार ने अपनी ओर से आवश्यक कदम जरूर उठाये हैं. लेकिन सरकारी योजनाओं की तरह ही कई गांवों में सरकार की दी जा रही सहायता नहीं पहुंच पा रही है. लिहाजा, गरीबों के घरों का चूल्हा ठंडा पड़ा हुआ है.
गरीबी सबसे बड़ा अभिशाप है, जो भूखे सोने पर मजबूर कर देती है. कोरोना महामारी ने गरीबों की इस मजबूरी को और बढ़ा दिया है. बात की जाये बक्सर की, तो यहां नगर परिषद क्षेत्र की दलित बस्ती के कई घरों में पिछले पांच दिनों से चूल्हा नहीं जला है. ईटीवी भारत संवाददाता ने जब यहां के हालातों का जायजा लिया, तो सरकार के किये जा रहे दावों की जमीनी हकीकत सामने आ गयी.
'नून-पानी पीकर सोने को मजबूर'
लॉक डाउन से परेशान यहां के लोगों ने अपनी लाचारी की व्यथा बयां करते हुए बताया और कहा, 'चार दिन से हमनी का चूल्हा नहीं जला है. हमनी के पूछे वाला कौनों नहीं के. कौनों झांकन तक नाहीं आवत है. कुछ भी नहीं के खाने के. नमक रोटी और पानी पीकर बच्चा सब सो रहे हैं.'
वहीं, एक अन्य महिला ने बताया कि सरकार व्यवस्था कर रही है. लेकिन हम घर से जैसे निकलते हैं, पुलिसवाले हमें घर पर रहने की सलाह देने लगते हैं. बेबस होकर वापस लौटना पड़ता है.