बक्सर: बिहार के बक्सर में एक हजार आठ फीट ऊंची पराक्रमी भगवान श्रीराम की प्रतिमा लगाने के लिए नागपुर से आई टीम ने ड्रोन से सर्वे करना शुरू कर दिया है. चुनाव से ठीक पहले हो रहे सर्वे पर विपक्षी दलों के साथ ही सहयोगी दलों के नेताओ ने भी सवाल उठना शुरू कर दिया है.
ये भी पढ़ें- Devshila Yatra In Motihari: देव शिला यात्रा पहुंची मोतिहारी, भगवान राम की भक्ति में डूबे श्रद्धालु
भगवान श्रीराम की प्रतिमा लगाने पर सियासत: भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता राणा प्रताप सिंह ने अपने ही पार्टी के मंत्री को सवालों के घेरे में खड़ा करते हुए पूछा है कि 10 साल में केंद्रीय विद्यालय के लिए जब वह 5 एकड़ भूमि की व्यवस्था नहीं कर पाए तो एक हजार आठ फीट ऊंची प्रतिमा को स्थापित करने के लिए 50 एकड़ भूमि कहा से लाएंगे.
अपने दल के नेताओं ने उठाया सवाल: अपने ही दल के नेता के बयान के बाद से सियासत शुरू हो गई है. सत्ताधारी दल जदयू के नेताओं ने साफ शब्दों में कह डाला कि बक्सर मंत्री जी का खतियानी जमीन नहीं है कि जब जहां चाहे मूर्ति लगवा देंगे. जदयू नेता ने कहा कि यहां कोई मूर्ति नहीं लगेगा.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने की थी घोषणा: दरअसल, पिछले दिनों आयोजित सनातन संस्कृति समागम कार्यक्रम के दौरान बक्सर सांसद सह केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने मंच से ही यह घोषणा की थी कि बक्सर में भगवान श्री राम की पराक्रमी मुद्रा में 1008 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी. यह प्रतिमा विश्व में सबसे ऊंची प्रतिमा होगी.
गुजरात में है विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति: अब तक गुजरात में लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 697 फीट ऊंची प्रतिमा विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है. पिछले दिनों प्रतिमा स्थापना को लेकर जिओ मैपिंग भी कराई गई जिसके बाद फिर राजनीति और भी गर्म हो गई और अब अलग-अलग दलों के द्वारा इस मामले में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी जा रही हैं.
"प्रतिमा स्थापना की घोषणा केवल जुमलेबाजी है. क्योंकि जिला मुख्यालय ही नहीं पूरे जिले में इतनी जमीन नहीं है कि जहां इतनी विशाल प्रतिमा स्थापित की जा सके."- संजय सिंह, जदयू नेता
बीजेपी ने अपने ही मंत्री को घेरा:भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष राणा प्रताप सिंह ने अपने ही मंत्री के इस घोषणा पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि, भगवान श्रीराम की प्रतिमा की स्थापना से पूर्व केंद्रीय विद्यालय के लिए 5 एकड़ जमीन मिलना अति आवश्यक है. क्योंकि आज जमीन नहीं होने के कारण केंद्रीय विद्यालय के बच्चे एमपी उच्च विद्यालय के परिसर में किसी तरह अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं.
"यदि भगवान श्री राम की प्रतिमा स्थापित होती है तो उसके पहले उनके गुरु महर्षि विश्वामित्र की प्रतिमा स्थापित होनी चाहिए. क्योंकि यदि महर्षि विश्वामित्र नहीं होते तो श्रीराम श्रीराम नहीं होते. एक हजार आठ फीट ऊंची प्रतिमा के लिए कम से कम 50 एकड़ भूमि की जरूरत पड़ेगी और इतना भूमि एक जगह कहीं नही है. यह बात सभी लोग ठीक से जानते हैं."-राणा प्रताप सिंह,पूर्व जिलाध्यक्ष
"प्रतिमा स्थापना कराना किसी सांसद का काम नहीं है. सांसद का जो कर्तव्य है, उसे उन्हें करना चाहिए. प्रतिमा तो पुजारी स्थापित कराते हैं. सांसद को और भी विकास के कार्य करने चाहिए. जितने पैसे भगवान श्री राम की प्रतिमा स्थापित करने में खर्च हो रहे हैं. उससे स्कूल कॉलेज और अस्पतालों की स्थापना जैसे विकास के कई कार्य किए जा सकते हैं."- अजीत कुमार सिंह, माले विधायक
अबतक नहीं हुए हैं कई महत्वपूर्ण कार्य: बहरहाल, भगवान श्रीराम की प्रतिमा की स्थापना जिले में कहां और कब होगी, यह बात तो भविष्य के गर्भ में छिपी हुई है. अब तक तो 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान की गई घोषणा ही पूरी नहीं हो पाई है. न तो गोकुल ग्राम योजना पूरा हुआ और न ही जिले में मेडिकल कॉलेज बनकर तैयार हुआ. अब देखना है कि ये काम पूरा होता है कि नहीं.