बक्सर:22 मार्च की तारीख पर नजर पड़ते ही नगरवासी सहम उठते हैं. आज से एक साल पहले जनता कर्फ्यू का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषण किया था. उस समय सड़कों पर पसरी सन्नाटा एवं पुलिस की गाड़ियों में बजते सायरन को सुन चारदीवारी के अंदर इंसान कैद हो गया था. आज भी लोग अपनों के खोने का दर्द नहीं भूल पाए हैं.
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बता दें कि 22 मार्च को बिहार दिवस के अवसर जनता कर्फ्यू को याद किया गया. इस दिन 2020 में पीएम मोदी ने कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए जनता कर्फ्यू का ऐलान किया था. वहीं, बिहार समेत पूरा भारत में कोरोना का संकट छाया हुआ है. आज के दिन लोगों के चेहरे पर जनता कर्फ्यू का दर्द साफ झलक रहा था. इस वैश्विक महामारी के कारण हजारों किलोमीटर दूर से भूखे प्यासे पैदल चलकर आने वालों प्रवासी श्रमिकों ने कहा कि मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन कोरोना बना. यह महामारी इंसान को इंसान से नफरत करने पर मजबूर कर दिया. मृत पड़े परिजनों को कंधा न दे पाने का मलाल है.
आज ही के दिन जनता कर्फ्यू का हुआ था घोषणा
आज से एक साल पहले कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच 22 मार्च 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू की घोषणा किया था. इस मौके पर भारतवासियों को अपने-अपने घरों में बंद होने के लिए कहा था. इसके साथ ही लोगों को मास्क पहनने, शारीरिक दूरी का पालन करने, हाथ को साफ रखने जैसी तमाम गाइडलाइन पालन करने के निर्देश दिए गए थे. यह एक तरह से कोरोना के प्रसार को रोकने की कोशिश और इस घातक बीमारी के खिलाफ आधिकारिक जंग की शुरुआत थी. जनता कर्फ्यू के दौरान एक तरह का अजीब सन्नाटा था. न हॉर्न की आवाज और न ही कोई और हलचल. सिर्फ पक्षियों की आवाज सुनाई दे रही थी.