बक्सर: बिहार के बक्सर में 13 नवंबर से पांच दिवसीय पंचकोसी परिक्रमा यात्रा(Panchkosi Parikrama Yatra Started in Buxar) शुरू हो गई है. पंचकोसी परिक्रमा के दूसरे दिन 14 नवम्बर को श्रद्धालुओं का जत्था नारद मुनि के आश्रम नदाव पहुंचा है. अगहन मास के पंचमी से शुरू होने वाले इस पंचकोसी परिक्रमा यात्रा (Panchkosi Parikrama Yatra) में शामिल होने के लिए बिहार समेत उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, उड़ीसा और नेपाल समेत पूरे देश और विदेशों से श्रद्धालु बक्सर आए हैं. कोरोना काल में 2 साल बाद आयोजित होने वाले विश्व प्रसिद्ध इस पंचकोसी परिक्रमा यात्रा (World Famous Panchkosi Parikrama) को लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखा जा रहा है.
पहले पड़ाव में अहिरौली पहुंचे थे श्रद्धालु: पंचकोसी परिक्रमा यात्रा के पहले पड़ाव में श्रद्धालुओं का जत्था मां अहिल्या के आश्रम अहिरौली (Ahilya Ashram Ahiroli) पहुंचा. जहां उत्तरायणी गंगा में स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं ने अहिल्या मंदिर में पूजा-पाठ कर पुआ पकवान का भोग लगाया. हालांकि इस साल उत्तरायणी गंगा के तट से लेकर मंदिर परिसर के चारों तरफ कचरे का अंबार लगा हुआ है. जिससे श्रद्धालुओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. जिला प्रशासन के द्वारा ना तो साफ सफाई की व्यवस्था की गई और ना ही नगर परिषद के अधिकारियों ने इसपर संज्ञान लिया. आज श्रद्धालु नारद मुनि के आश्रम नदाव पहुंचने लगे है. जहां नारद मुनि सरोवर में स्नान (Bathing in Narada Muni Sarovar) करने के बाद मंदिर में पूजा पाठ करेंगे और सत्तू-मूली का भोग लगाकर इस यात्रा के तीसरे दिन भार्गव ऋषि के आश्रम भभुअर के लिए प्रस्थान करेंगे.
आश्रम के 16 बीघा जमीन पर दबंगों ने किया कब्जा:विश्व प्रसिद्ध इस यात्रा को लेकर जिला प्रशासन की तैयारी नगण्य है. नारद मुनि सरोवर से लेकर मंदिर परिसर तक गंदगी का अंबार लगा हुआ है. स्थानीय लोगों की माने तो इस आश्रम के 16 विघा जमीन पर चारों तरफ से स्थानीय लोगों के द्वारा कब्जा कर लिया गया है. इसके बाद भी जिला प्रशासन के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं. स्थानीय लोगों की माने तो सांसद अश्विनी कुमार चौबे (MP Ashwini Kumar Choubey) और सदर विधायक मुन्ना तिवारी के द्वारा इस मंदिर को भव्य बनाने का कई बार आश्वासन दिया गया, लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद किसी ने संज्ञान नहीं लिया. जिससे यह मंदिर अब खंडहर में तब्दील हो गया है.
वोट के लिए नेता कर रहे हैं जुमलाबाजी: भारत सरकार श्रीराम के जन्मस्थली अयोध्या में अरबों रुपए खर्च कर भव्य मंदिर बना रही है, लेकिन राम के कर्मस्थली और शिक्षास्थली पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है. कई बार स्थानीय सांसद सह केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के द्वारा रामायण सर्किट से इन स्थलों को जोड़ने की बात कही गई, लेकिन वह जुमला साबित हुआ. बता दें कि पंचकोसी परिक्रमा यात्रा को लेकर कहा जाता है कि त्रेता युग में भगवान राम (Lord Rama in Treta Yuga) अपने भ्राता लक्ष्मण, ऋषि विश्वामित्र के साथ बक्सर आए थे. उस समय बक्सर में ताड़का, सुबाहू, मारीच आदि राक्षसों का आतंक था. इन राक्षसों का वध कर भगवान राम ने ऋषि विश्वामित्र (Rishi Vishwamitra) से यहां शिक्षा ग्रहण की थी. ताड़का राक्षसी का वध करने के बाद भगवान राम ने नारी हत्या दोष से मुक्ति पाने के लिए अपने भ्राता लक्ष्मण और ऋषि विश्वामित्र के साथ 5 कोस की यात्रा प्रारम्भ की. इस यात्रा के पहले पड़ाव में गौतम ऋषि के आश्रम अहिरौली पहुंचे, जहां पत्थर रूपी अहिल्या को अपने चरणों से स्पर्श कर उनका उद्धार किया और उत्तरायणी गंगा में स्नान कर पुआ पकवान खाया.