बक्सर: सहकारिता विभाग के अधिकारियों और पैक्स कर्मियों की मनमानी के कारण, अभी तक अधिकांश किसानों का धान खलिहानों में ही पड़ा हुआ है. 25 नवम्बर से लेकर 31 जनवरी तक राज्य सरकार के द्वारा बक्सर जिला में एक लाख 50 हजार मीट्रिक टन धान की खरीदारी करने का लक्ष्य रखा गया था. उसके बाद भी अब तक सरकारी संस्थाओं के द्वारा मात्र 50 हजार मीट्रिक टन ही धान की खरीदारी की गई है. जिसके कारण किसान परेशान हैं.
सहकारिता मंत्री के सामने उठाया मामला
किसानों को इस बात का डर सता रहा है कि शेष तीन दिनों में सहकारिता विभाग के अधिकारी कैसे धान की खरीदारी कर पाएंगे. 24 जनवरी को किसानों ने सहकारिता मंत्री के सामने भी मामला उठाया था. 24 जनवरी को एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे राज्य सरकार के सहकारिता मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह से भी किसानों ने मिलकर अपनी समस्या को बताया था. जिला अतिथिगृह में ईटीवी भारत के संवाददाता के द्वारा भी किसानों के इस समस्या को लेकर संबंधित मंत्री को अवगत कराया था. जिसके बाद उन्होंने किसानों की इस समस्या को दूर करने के बजाए, किसानों और पत्रकारों के ज्ञान पर ही सवाल उठाना शुरू कर दिया और ज्ञान बढाने की नसीहत देने लगे.
- जिले में कृषि पोर्टल पर लगभग 1 लाख 30 हजार किसान रजिस्टर्ड हैं. कोई भी किसान तभी सरकारी संस्था को धान बेच सकता है. जब वह सहकारिता विभाग के पोर्टल पर भी आवेदन ऑनलाइन करके, यह जानकारी देगा कि वह किस पंचायत का है और कितना क्विंटल धान की बिक्री करना चाहता है. लेकिन सहकारिता विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण, किसानों का आवेदन ऑनलाइन नहीं हो पा रहा है. क्योंकि कुछ देर के लिए पोर्टल को चालू कर बन्द कर दिया जाता है और अब तक लगभग मात्र 5 हजार किसान ही सहकारिता विभाग के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवा पाए है.
- जिस किसानों ने आवेदन ऑनलाइन कर लिया है, उसे भी पैक्स कर्मियों के द्वारा बोरा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. किसान किसी तरह से बोरा की व्यवस्था कर पैक्स तक धान पहुंचा दे रहे हैं. उसके बाद भी सरकार द्वारा घोषित किया गया एमएसपी पर उनका धान नहीं लिया जा रहा है. कोई पैक्स कर्मी 1888 रुपये प्रति क्विंटल के बदले 1600 तो कोई 1500 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से ही भुगतान कर रहा है. इसके लिए पैक्स कर्मी किसानों के 50 क्विंटल धान का वजन 42 क्विंटल लिखकर, 1888 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से भुगतान कर दे रहे है. जिसकी शिकायत, किसानों ने मंत्री से लिखित रूप में किया है. उसके बाद भी सुधार नहीं हो पा रहा है.
- जिला के कई पैक्स कर्मियों के द्वारा, किसानों के सामने 67% चावल गिरने की एक नयी समस्या खड़ी कर दी गयी है. ईटीवी भारत को पूर्व दिए गए बयान में, जिला के नावानगर प्रखण्ड के पैक्स अध्यक्ष मृत्युंजय मिश्रा ने स्पष्ट रूप से कहा था कि, किसानों के एक क्विंटल धान से 67 किलो चावल नहीं प्राप्त हो रहा है. जिसके कारण किसानों से अतिरिक्त धान लेना मजबूरी है और किसान अतिरिक्त धान देना नहीं चाहते हैं.