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बक्सर: शराब पीने से हुई मौत, शव के साथ लोगों ने किया NH-84 को किया जाम

बक्सर जिले के पुराने भोजपुर में एक व्यक्ति की मौत शराब पीने से हो गई. इससे आक्रोशित परिजनों ने राष्ट्रीय राजमार्ग-84 को शव रखकर जाम कर दिया. सूचना पर पहुंचे एसडीएम, एसडीपीओ और सीओ ने लोगों को समझा-बुझा कर जाम खुलवाया.

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शराब पीने से हुई मौत के बाद शव के साथ लोगों ने किया NH-84 जाम.

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Published : Jul 29, 2020, 6:14 PM IST

बक्सर: बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू 2016 से ही लागू है, किंतु प्रदेश में शराब की बिक्री एवं पीने की खबरें लगातार आती रही हैं. इसको लेकर हमेशा सरकार और पुलिस पर सवाल उठते रहें हैं. अभी एक ताजा मामला बक्सर के नया भोजपुर थाना क्षेत्र के पुराना भोजपुर से आया है. जहां शराब पीने से एक व्यक्ति की मौत हो गई है. शराब पीने से हुई मौत के बाद लोग आक्रोशित हो गए तथा उन्होंने भोजपुर चौक के पास शव के साथ राष्ट्रीय राजमार्ग-84 को जाम कर दिया.

बिहार में शराब की खुलेआम हो रही है बिक्री
जाम कर रहे लोगों का आरोप है कि पुलिस लगातार सक्रियता का दावा करती है, लेकिन शराब की बिक्री खुलेआम हो रही है और लोग शराब पीकर मर रहे हैं. लोगों का कहना है कि यह सब पुलिस की मिलीभगत से ही होता है. पुलिस पैसे लेकर तस्करी की छूट दे चुकी है. उधर, घटना की सूचना मिलते ही एसडीएम हरेंद्र राम एसडीपीओ कृष्ण कुमार सिंह तथा सीओ मौके पर पहुंच गए तथा लोगों को समझाने बुझाने का प्रयास शुरू कर दिया.

अत्याधिक शराब का सेवन करने से हुई थी मौत
घटना के संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक पुराना भोजपुर के रहने वाले स्वर्गीय रेनू चौधरी के 35 वर्षीय पुत्र संजय चौधरी अत्याधिक शराब का सेवन करने से लीवर खराब होने की वजह से मृत्यु के शिकार हो गए. इस घटना के बाद परिजन इस बात को लेकर आक्रोशित हैं कि सूबे में शराबबंदी का ढोल पीटा जा रहा है, लेकिन खुलेआम शराब बंदी का मखौल भी उड़ाया जा रहा है. ऐसे में लोगों की मौत का जिम्मेदार केवल पुलिस प्रशासन है और उसको इस बात का जवाब भी देना चाहिए.

बिहार में ।5 अप्रैल 2016 को हुई थी शराबबंदी
गौरतलब है कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी की घोषणा एक ऐतिहासिक फैसला थी ।5 अप्रैल 2016 को बिहार सरकार के निर्णय के बाद से बिहार के शहरी और देहाती इलाके में सभी तरह के शराबों की बिक्री पर पूर्ण पाबंदी लगाई गई थी. शुरू में पहली अप्रैल से देसी शराब की बिक्री पर पाबंदी लगाई गई थी, लेकिन सिर्फ देसी शराब की बिक्री पर पाबंदी से शराब बंदी के औचित्य पर सवाल उठाए जा रहे थे. लिहाजा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साहसिक कदम उठाते हुए पांच अप्रैल 2016 से विदेशी शराबों की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाया था.


शराब सैकड़ों परिवार को कर चुका है बर्बाद
नीतीश सरकार के इस कदम की काफी सराहना भी हुई क्योंकि शराब के चलते सैकड़ों परिवार बर्बाद हो जाते हैं. महिलाओं को ज्यादा परेशानियां थीं. शराबियों के आतंक से महिलाएं घर और बाहर आतंकित रहती थीं. गरीब परिवार आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे थे. लिहाजा, सरकार के इस फैसले का सबसे ज्यादा तारीफ महिलाओं ने ही किया. आपको बता दें कि महिलाओं की मांग पर ही राज्य में शराबबंदी लागू की गई है.

जीविका से जुड़ी महिलाओं ने उठाया था मुद्दा
।9 जुलाई 2015 को पटना में आयोजित ग्रामवार्ता में जीविका से जुड़ी महिलाओं ने शराबबंदी का मुद्दा उठाया था. तब नीतीश कुमार ने महिलाओं को आश्वस्त किया था कि नई सरकार गठन के बाद शराबबंदी लागू कर दी जाएगी. सरकार गठन के करीब चार महीने बाद इसे लागू कर दिया गया था.

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