बक्सर: बिहार के बक्सर में जिला मुख्यालय में समाहरणालय से महज 50 मीटर की दूरी पर स्थित आचार्य नरेंद्र देव मध्य विद्यालय में मिड डे मील में मेढ़क मिलने के बाद भी एनजीओ पर कार्रवाई (No Action in Mid Day Meal Case in Buxar) नहीं की गई. उल्टे प्रधानाध्यापक और स्कूल प्रबंधन को ही हिदायत दी है. उसके बाद दूसरे ही दिन फिर एनजीओ ने रद्दी खाना सप्लाई किया. इस खाने को भी प्रधानाध्यापक ने बच्चों को देने से रोक दिया है और इसकी शिकायत की है.
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नहीं हो रही एनजीओ पर कार्रवाईः स्कूल के प्रभारी प्रधानाचार्य गौरव कुमार ने का कहना है कि अगर एनजीओ खराब गुणवत्ता वाला खाना आपूर्ति कर रहा है तो इसमें स्कूल प्रबंधन क्या कर सकता है. हमलोग सिर्फ खाना चख कर उसे बच्चों को देने से रोक सकते हैं और बता सकते हैं कि यह सही है या खराब. खाना खराब होने में प्रधानाध्यापक की लापरवाही नहीं हो सकती है. फिर भी हमलोगों को शिक्षा विभाग के डीपीओ ने दोषी बताया. उन्होंने कहा कि आपलोग अनियमितता करते हैं. प्रधानाचार्य ने बताया कि कई बार अधिकारियों से पत्र लिखकर कहा गया कि मेन्यू के अनुसार एनजीओ भोजन सप्लाई नहीं कर रहा है. उसके बाद भी एनजीओ पर कार्रवाई नहीं की गई और जब मिड डे मील में मेढ़क मिला तो उसके लिए भी स्कूल को जिम्मेवार ठहराया जा रहा है. स्कूल में जब भोजन बना ही नहीं तो स्कूल कैसे जिम्मेवार हो गया.
क्या है मेढ़क मिलने का मामलाःमध्य विद्यालय के प्रभारी प्रधानाचार्य ने बताया कि लगभग 2 बजकर 20 मिनट पर ही हमने शिक्षा विभाग के तमाम अधिकारियों से लेकर उस एनजीओ को भी इस बात की जानकारी दी कि जो भोजन आज सप्लाई किया गया है, उसमें उबला हुआ मेढ़क है. प्रधानाध्यापक ने बताया कि मेढ़क मिलने पर पहले अपने स्तर से उसकी जांच की. उबल जाने के कारण मेढ़क का आकार बदल गया था लगभग ढाई घण्टे बाद एमडीएम कार्यक्रम पदाधिकारी स्कूल में पहुंचे और हमें फटकार लगाना शुरू कर दिया. तुमलोगों की गलती है. इस योजना में तुमलोग अनियमितता बरत रहे हो. सारा दोष तुमलोगों का है. प्रभारी प्रधानाध्यापक गौरव कुमार ने कहा कि खाना में मेढ़क मिलने की कल भी लिखित शिकायत की गई. मेन्यू के अनुरूप भोजन सप्लाई नहीं हो रहा है. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. आज भी बदबूदार भोजन सप्लाई किया गया है.
"खाना में मेढ़क मिलने की कल भी लिखित शिकायत की गई. मेन्यू के अनुरूप भोजन सप्लाई नहीं हो रहा है. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. आज भी बदबूदार भोजन सप्लाई किया गया है. कई बार अधिकारियों से पत्र लिखकर कहा गया कि मेन्यू के अनुसार एनजीओ भोजन सप्लाई नहीं कर रहा है. उसके बाद भी कार्रवाई नहीं की गई और जब मिड डे मील में मेढ़क मिला तो उसके लिए भी स्कूल को जिम्मेवार ठहराया जा रहा है"-गौरव कुमार, प्रभारी प्रधानाचार्य
सबसे पहले रसोईया को खाने में दिखा मेढ़कः स्कूल में बच्चों को खाना परोसने वाली रसोईया फूल कुमारी ने बताया कि दोपहर में सबसे पहले मैंने भोजन टेस्ट किया था. उसके बाद दो शिक्षकों ने भोजन को चखा था. उसके बाद बच्चों को जब भोजन परोसने लगी तो उसमें उबले हुए मेढ़क पर नजर पड़ी. पहले तो ऐसा लगा कि बैगन का डंटी है, लेकिन जब गौर से देखी तो छिपकली जैसा नजर आ रहा था. हमने शिक्षकों को इसकी सूचना दी. जब उसे बाहर निकाला गया तो उबला हुआ मेढ़क था. उबल हो जाने के कारण उसका आकार बदल गया था. तत्काल सभी बच्चों के हाथ से थाली छीनकर हमने भोजन को फेंक दिया.
" बच्चों को जब भोजन परोसने लगी तो उसमें उबले हुए मेढ़क पर नजर पड़ी. पहले तो ऐसा लगा कि बैगन का डंटी है, लेकिन जब गौर से देखी तो छिपकली जैसा नजर आ रहा था. हमने शिक्षकों को इसकी सूचना दी. जब उसे बाहर निकाला गया तो उबला हुआ मेढ़क था. तत्काल सभी बच्चों के हाथ से थाली छीनकर हमने भोजन को फेंक दिया"-फूल कुमारी रसोइया
जिस स्तर पर लापरवाही हुई होगी, उसपर कार्रवाई होगीः एमडीएम कार्यक्रम पदाधिकारी मोहम्मद नजेश कुमार से जब इस मामले को लेकर पूछा गया तो उन्होंने बताया कि हमलोगों ने मामले को संज्ञान में लिया है. उसकी जांच की जा रही है. जिस स्तर पर भी लापरवाही की गई होगी. उस पर कार्रवाई होगी. वहीं तय मेन्यू के अनुसार खाना व फल नहीं देने उन्होंने कहा कि भोजन प्राप्त करने की जो सूची स्कूल उपलब्ध कराती है उसके अनुसार ही पैसा पेमेंट किया जाता है. अगर मेन्यू के अनुसार फल, अंडा या जो भी वस्तु एनजीओ सप्लाई नहीं करता है, तो उसका पैसा काट लिया जाता है. एनजीओ से तय मेन्यू के हिसाब से खाना नहीं देने का कारण भी पूछा जाता है और हिदायत भी दी जाती है. वैसे प्रधानाध्यापक के स्तर पर भी लापरवाही की गई है. प्रधानाध्यापक की लापरवाही को अनदेखा नहीं किया जा सकता है. उन्हें भी चेताया गया है. स्कूल के रजिस्टर में कल यह मेंशन नहीं किया गया था कि जो भोजन एनजीओ ने सप्लाई किया था उस भोजन को सबसे पहले किसने चखा था. इससे यह प्रतीत हो रहा है कि स्कूल स्तर पर भी लापरवाही हुई है.
सभी बच्चे स्वस्थ्यः यह पूछे जाने पर कि क्या एनजीओ को बचाने का प्रयास किया जा रहा है, डीपीओ ने कहा कि किसने कहा कि एनजीओ को बचाने का प्रयास किया जा रहा है या दबाव दिया जा रहा है. मैंने तो सिर्फ इतना कहा कि प्रधानाध्यापक के स्तर पर भी लापरवाही की गई है. उनको भी इन बातों का ध्यान देना है. क्योंकि प्रधानाध्यापक की रिपोर्ट पर ही एनजीओ से भी जवाब-तलब किया जाता है. वैसे जब वहां मेढक पाया गया तो वहां मैं था नहीं. मुझे प्रधानाध्यापक से ही सूचना मिली. मैंने कहा कि जिन बच्चों ने खाना खाया उनकी माॅनिटरिंग करें. कहीं से किसी के स्वास्थ्य में कोई गड़बड़ी आती है तो उसके लिए एंबुलेंस की व्यवस्था की गई थी. मैंने अस्पताल से भी बात की है. वैसे मैंने बच्चों से भी बात की, सभी बच्चे स्वस्थ्य हैं.
"हमलोगों ने मामले को संज्ञान में लिया है. उसकी जांच की जा रही है. जिस स्तर पर भी लापरवाही की गई होगी. उस पर कार्रवाई होगी. वहीं तय मेन्यू के अनुसार खाना व फल नहीं देने पर एनीओ का पैसा काट लिया जाएगा. स्कूल के रजिस्टर में कल यह मेंशन नहीं किया गया था कि जो भोजन एनजीओ ने सप्लाई किया था उस भोजन को सबसे पहले किसने चखा था. इससे यह प्रतीत हो रहा है कि स्कूल स्तर पर भी लापरवाही हुई है" - नाजेश कुमार, डीपीओ शिक्षा विभाग
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