बक्सरः बिहार के बक्सर (Liquor Smuggling in Buxar) जिले में गंगा नदी शराब माफियाओं के लिए वरदान साबित हो रही है. 2 दिन पूर्व नगर थाना अध्यक्ष दिनेश मालाकार द्वारा गंगा नदी में पेट्रोलिंग करने का एक वीडियो शेयर किया गया था. संकेत साफ था कि शराब माफियाओं पर नकेल कसने के लिए बक्सर पुलिस एक्शन मोड में है. लेकिन हैरानी की बात है कि उसी गंगा नदी से फिल्मी अंदाज में हथियार के बल पर बक्सर के शराब कारोबारी पूरी रात शराब की तस्करी कर रहे हैं. उसके बाद भी पुलिस की हाथ उन शराब कारोबारियो के गिरेबान तक नहीं पहुंच रही है.
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बिहार में शराबबंदी कानून (Liquor Prohibition Law in Bihar) लागू हुए पांच साल हो गए. 1 अप्रैल 2016 में सर्वसम्मति से शराबबंदी कानून लागू किया गया था. बिहार में अपराध और घरेलू हिंसा के मामलों को कम करने के मकसद से प्रदेश के मुखिया नीतीश कुमार ने राजस्व के भारी नुकसान के बावजूद भी शराबबंदी कानून को लागू करने का फैसला लिया था. लेकिन आज पांच साल बाद भी शराबबंदी कानून की सफलता पर विवाद जारी है.
पिछले पांच साल के आंकड़ों पर अगर नजर डाली जाए तो शायद ही कोई दिन ऐसा होगा, जिस दिन राज्य के किसी जिले में शराब की बरामदगी ना हुई हो. राज्य में शराबबंदी होने के बाद से शराब की अवैध बिक्री का धंधा शुरू है. इस धंधे के संचालन के लिए बकायदा चेन बना हुआ है. इस चेन के सदस्य अलग-अलग लेवल पर काम कर शराबबंदी कानून को बता कर लोगों को शराब परोसने में जुटे हुए हैं.
जब ईटीवी भारत की टीम गंगा नदी के तट पर पहुंची तो शराब कारोबारियों की पूरी प्लान और रणनीति कैमरे में कैद हो गई. इस कारोबार से जुड़े लोग जिले के चौसा, बक्सर, सिमरी, चक्की और ब्रह्मपुर प्रखंड के दो दर्जन गांव गंगा नदी के तट पर बसे हुए हैं. वहां शराब की खेप लेकर पहुंचते हैं. उसके तय लोकेशन पर भेजा जाता है. इस पूरे खेल में कई स्तर पर टीम काम करती है. कुछ लोग संबंधित थाने में ही बैठकर पुलिस की हर मूवमेंट की जानकारी देते हैं. जबकि दूसरी टीम रूट पर पुलिस गश्ती को उलझाने के साथ ही गाड़ी को निकलवाने की जिम्मेवारी निभाती है. उसके बाद उसे ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में पहुंचा दिया जाता है. जिस बात की जानकारी पुलिस को छोड़कर पूरे जिले को है. इसका पूरा प्रमाण ईटीवी की कैमरे में कैद है.