बक्सर: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के आदेश पर पूरे देश में महात्मा गांधी के जन्म दिवस (Gandhi Jayanti) 2 अक्टूबर से पूरे देश में विधिक जागरुकता अभियान (Legal Awareness Campaign) चलाया जा रहा है. बक्सर में इसके तहत लगातार कार्यक्रम चलाए जा रहें हैं. इस बाबत ईटीवी भारत ने सह जिला विधिक प्राधिकार के सचिव सह अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र तिवारी (Dharmendra Tiwari) से खास बातचीत की. प्रस्तुत है बातचीत के मुख्य अंश-
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ईटीवी भारत: जिला विधिक प्राधिकार द्वारा कौन-कौन से और किस तरह के कार्यक्रम अभी चलाये जा रहें हैं ?
जिला विधिक प्राधिकार के सचिव- आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, उसी के परिप्रेक्ष्य में नालसा द्वारा निश्चित किया गया कि जब सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है, न्यायपालिका भी उसमें कंट्रीब्यूट करेगी. उस कंट्रीब्यूशन में यह तय किया गया कि 2 अक्टूबर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की जयंती से लेकर पंडित जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) की जयंती 14 नवम्बर तक पूरे देश में जागरुकता का कार्यक्रम करेंगे.
उसी के राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकार पैन इंडिया अवेयरनेस कार्यक्रम चला रहा है. उसमें त्रिस्तरीय कार्यक्रम है. हमारे पैनल के अधिवक्ता जगह-जगह जाकर जागरुकता कार्यक्रम कर रहें हैं. दूसरा, डोर टू डोर हमारी टीम जा रही है जिसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और आशा कार्यकर्ता हैं. इसका नेतृत्व पीएलबी कर रहें हैं. ये टीम हर दरवाजे पर तीन बार जाएगी और लोगों को जागरूक करने का काम करेगी. तीसरा, इस दौरान हमलोग दो मोबाइल वैन भी चला रहे हैं जो लोगों को जागरूक करने के लिए प्रत्येक घर तक जा रही है.
ईटीवी भारत: -आज के समय यह अभियान लोगों के लिए कितना आवश्यक और प्रासंगिक है ?
जिला विधिक प्राधिकार के सचिव- सरकार बहुत सारे कानून बनाती है लेकिन कानूनों की प्रासंगिकता तभी है जब लोगों को उनके विषय में जानकारी हो. इसीलिए यह महसूस किया गया कि लोगों को इसकी जानकारी भी हो कि क्या-क्या कल्याणकारी योजनाएं हैं. इसके लिए बहुत जरूरी है कि लोगों को अवेयर किया जाए. आपके कानूनी अधिकार क्या हैं? वृद्धों, महिलाओं और बच्चों के कानूनी अधिकार क्या हैं? समाज का सबसे कमजोर वर्ग जो अंतिम पायदान पर है, उनके क्या कानूनी अधिकार हैं? ऐसे लोगों के साथ विधिक सेवा प्राधिकार खड़ा होना चाहता है. सेक्शन 12 है जो राष्ट्रीय विधिक प्राधिकार द्वारा 1987 में बनाया गया. उसके तहत निःशुल्क कानूनी सहायता देना चाहते हैं. इस तरह से जो कोई गिरफ्तार होता है, उसे गिरफ्तारी के नियम नहीं पता होतें हैं. जमानत की जानकारी नहीं होती है. ऐसे लोगो को निःशुल्क सहायता दी जाएगी.
ईटीवी भारत:आपने जैसा बताया कि लोगों गिरफ्तारी के नियमों की जानकारी नहीं होती है, जमानत कैसे करानी है, इसकी जानकारी नहीं होती है. इसमें क्या प्राधिकार सहायक होगा?
जिला विधिक प्राधिकार के सचिव: बिल्कुल सहायक होगा. जिला विधिक सेवा प्राधिकार ऐसे लोगों के लिए जो गिरफ्तार होते हैं, उनके लिए निःशुल्क अधिवक्ता उपलब्ध कराता है. इसके लिए कोई फीस नहीं देनी है. हमारा अधिवक्ता उनके साथ रहेगा और ऐसा नहीं कि अधिवक्ता निशुल्क देने के तात्पर्य में कमजोर होगा. बहुत योग्य, कर्मठ अधिवक्ता देता हूं. हमारा जो पैनल है, उनको एकदम मुफ्त में पूरी ताकत के साथ उनका सहयोग करेगा. गिरफ्तार या गिरफ्तारी के पहले ही उसको जरूरत है. उसको लगता है कि मेरी गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए, मेरे खिलाफ केस हो गया है. वो आएगा तो उसको कानूनी सहायता उपलब्ध कराएंगे. इसके लिए हम कार्यक्रम चला रहें हैं.