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दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक के खाते से लाखों की अवैध निकासी, अकाउंट चेक करवाने पर ग्राहक के उड़े होश

दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है. एक खाताधारक के खाते से फर्जी क्लोन चेक के जरिये 18 लाख 70 हजार की राशि निकाल ली गई है. बैंक के एलडीएम ने कहा कि पूरे मामले की जांच हो रही है और ग्राहक का पैसा बैंक वापस करेगा. पढ़ें पूरी खबर..

South Bihar Gramin Bank scam
South Bihar Gramin Bank scam

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Published : Oct 29, 2021, 2:19 PM IST

बक्सर:दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक (South Bihar Gramin Bank In Buxar) से अवैध तरीके से राशि निकासी (Lakhs Of Rupees Missing From Account In Buxar) का मामला नया नहीं है. कई बार ऐसे कई मामलों ने लोगों को हिला कर रख दिया है. ऐसा ही एक और मामला सामने आया है. मेन शाखा से एक ग्राहक के खाता संख्या 70230100077171 से 18 लाख 70 हजार की अवैध निकासी कर ली गई है. इस दौरान खाताधारक के मोबाइल पर ना तो कोई मैसेज आया और ना ही बैंक कर्मियों ने ग्राहक से कन्फर्म किया, जिसके बाद अब बैंक कर्मी संदेह के घेरे में हैं. वहीं घटना के बाद खाताधारक भोला पासवान और उनका पूरा परिवार सदमे में है.

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खाताधारक भोला पासवान ने बताया कि 25 अक्टूबर को जब पैसे की निकासी करने के लिए वह बैंक पहुंचा, तो बैंक कर्मियों के द्वारा बताया गया कि इस खाते में कोई अमाउंट नहीं है. जिसके बाद मैं अचेत होकर गिर गया. परिजन बैंक पहुंचे. इसके बाद बैंक कर्मियों के द्वारा यह बताया गया कि अविनाश नामक व्यक्ति के द्वारा पटना में 2 क्लोन चेक के माध्यम से 18 लाख 70 हजार की निकासी की गई है.

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"बैंक से पैसा निकालने गए तो दिमाग में आया कि अपना खाता एक बार चेक करवा ले. खाता चेक करवाते ही मेरेा होश उड़ गए. हमने घरवालों को इसकी खबर दी. हमने बैंक से पूछा कि राशि निकासी की हमें सूचना क्यों नहीं दी गई. चेक 10 तारीख को जाना था, चार दिन का समय था फिर भी बैंक ने सूचना नहीं दी. घटना के बाद हमारा पूरा परिवार बीमार हो गया है."- भोला पासवान, पीड़ित

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बैंक में भी अब लोगों की जमा पूंजी सुरक्षित नहीं है. अपने जीवन भर की कमाई में से एक-एक पैसा बचाकर लोग बैंक में अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए जमा करते हैं. जिसे शातिर अपराधी पलभर में ही गायब कर देते हैं. बैंक से जब इतनी बड़ी राशि की निकासी की जाती है या ट्रांसफर किया जाता है तो खाताधारक के मोबाइल पर नोटिफिकेशन आता है, लेकिन पीड़ित के मोबाइल पर कोई संदेश नहीं आया था. दो लाख से ज्यादा की निकासी पर बैंककर्मियों द्वारा ग्राहक से संपर्क करने का नियम भी है, लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ नहीं किया गया. अवैध निकासी प्रकरण को लेकर एसपी से मिलने बैंक के एलडीएम पहुंचे. उन्होंने कहा कि खाता धारक के पैसों का भुगतान बैंक करेगी. फिलहाल नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराया गया है.

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"दो दिन पहले मुझे बैंक द्वारा बताया गया कि किसी ने क्लोन चेक से खाताधारक के खाते से पैसे निकाल लिए हैं.शाखा पर जब मैं गया तो पता चला कि एक की डेट 13 सितंबर को ही करीब 17-18 लाख की अवैध निकासी कर ली गई है. पता चला कि पटना के सेंट्रल बैंक में खाता है, जिसके जरिए सारा पैसा निकाल लिया गया है. इसी बीच बैंक की ओर से एफआईआर करवाने के लिए लोग गए थे, तो नहीं किया गया क्योंकि ग्राहक ने पहले ही एफआईआर दर्ज करवा दिया था. हेड ऑफिस से लोगों ने आकर जांच की है,रिपोर्ट अब तक नहीं आई है. जो भी राशि निकाली गई है,बैंक उसकी भरपाई करेगा."- जेके वर्मा एलडीएम

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नगर थाने में एफआईआर दर्ज होने की जानकारी देते हुए पुलिस कप्तान नीरज कुमार सिंह ने कहा कि इस पूरे मामले की बारीकी से जांच की जा रही है. बैंक के मैनेजर एवं उससे जुड़े कई अधिकारी मिलने के लिए आए थे. उन्होंने पूरी घटना की जानकारी दी है. इस प्रकरण में चाहे जो भी दोषी होंगे, पुलिस जल्द ही उन्हें गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे डाल देगी.

"थाने में एक मामला आया है जिसमें बताया गया है, खाता धारक ने चेक इश्यू नहीं किया था. उसके बावजूद भी अकाउंट से 18 से 19 लाख की निकासी हो गई है. हमने मामले की जांच शुरू कर दी है."- नीरज कुमार सिंह, एसपी

गौरतलब है कि आरटीजीएस एक्ट 2013 में यह प्रावधान किया गया है कि किसी भी खाताधारक के खाते से जब दो लाख से अधिक की निकासी होगी तो बैंककर्मी फोन कर उस खाताधारक से कंफर्म करेंगे. लेकिन हैरानी की बात है कि इतनी बड़ी रकम की अवैध तरीके से निकासी भी हो गई, और खाताधारक को ना तो बैंक कर्मियों के द्वारा फोन किया गया ,और ना ही खाताधारक के मोबाइल पर निकासी से संबंधित कोई मैसेज ही गया. पीड़ित द्वारा यह अंदेशा जताया जा रहा है कि बैंक कर्मियो के द्वारा सोची-समझी रणनीति के तहत पहले उस खाताधारक के मोबाइल नंबर को ब्लॉक किया गया. उसके बाद राशि की निकासी की गई ताकि इस बात की सूचना ना मिले. यही कारण है कि जब 15 दिन बाद 25 अक्टूबर को खाताधारक बैंक पहुंचता, तब इस बात की उसे जानकारी मिली.

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