बक्सर: 73वें संविधान संशोधन से अस्तित्व में आई ग्राम पंचायत की विधायिका ग्रामसभा आज भी अपने मिले अधिकारों को प्रयोग में लाने से कोसों दूर है. ग्राम सभा के सदस्यों के बीच जाकर समाजसेवी कुमकुम राज लोगों को पंचायत से जुड़ी कई जानकारियों से अवगत कराती हैं और उनके अधिकारों के बारे में बताती हैं. पंचायतों में जन जागरूकता की अलख जगाने के लिए समाजसेवी बक्सर से भागलपुर तक की पदयात्रा पर निकली हैं.
पंचायतों में जागरूकता फैला रहीं लखीसराय की कुमकुम राज:समाजसेवी कुमकुम राज ने इस बारे में ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए बताया कि लंबे समय से पंचायती राज व्यवस्था विषय पर कार्य करने के दौरान मिले विभिन्न अनुभवों के आधार पर इस यात्रा की नींव रखी गई. संविधान में उल्लेखित सारी विधायिका अपने कार्यों को निष्पादित करती है, सिवाय ग्राम सभा के.बहुत गौर से देखने पर पता चलता हैं कि त्रिस्तरीय पंचायती व्यवस्था में ग्राम पंचायत की विधायिका इकलौती ऐसी विधायिका हैं जो आज भी अपने हक ओ हुकूक से पूरी तरह महरूम हैं.
"ग्राम सभा के सम्मानित सदस्य भी अपने मिले अधिकारों से पूरी तरह अनभिज्ञ हैं. ग्राम सभा की जमीनी हकीकत को समझने और इसमें निहित ताकत को जन जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से मैं यात्रा पर निकली हूं. गंगातट पंचायत पदयात्रा की शुरुआत बक्सर के चौसा से हुई है. वहीं इसके किनारे बसे भोजपुर,पटना,लखीसराय,मुंगेर होते हुए भागलपुर तक पदयात्रा करना है."-कुमकुम राज, समाजसेवी
'बक्सर के पंचायतों में नीति का नहीं हो रहा क्रियान्वयन': बक्सर की सभी 11 प्रखंडों की 85 पंचायतों की पैदलयात्रा करने के बाद कुमकुम राज बताती हैं कि बक्सर जिले में लगभग हर मुद्दे पर जनता के बीच में जाने से एक समझ बनती है कि इस जिले में हर क्षेत्र जैसे कृषि, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा,स्वास्थ,कौशल विकास,लघु कुटीर उद्योग आदि विषयों पर आज भी बड़े पैमाने पर कार्य कर बदलाव लाने की आवश्यकता है. महिला सशक्तिकरण के विभिन्न आयाम जैसे शैक्षणिक,आर्थिक और सामाजिक विषयों पर अत्यधिक ध्यान देने की आवश्यकता है.