बक्सर:कोरोना काल में केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र में संसाधनों का घोर अभाव देखने को मिला. यहां के अस्पताल राम भरोसे चल रहे हैं. यहां तक कि सरकारी अस्पतालों में एजिथ्रोमाइसिन टैबलेट नहीं है. विभागीय अधिकारी दवा के लिए 6 अप्रैल से ही पत्र भेज रहे हैं. उसके बाद भी दवा उपलब्ध नहीं कराई गई है.
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ऑक्सीजन की भारी कमी
जिले में चिकित्सकीय ऑक्सीजन की भारी कमी है. जितने गंभीर मरीज आ रहे हैं उनको ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है. लेकिन पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलने की वजह से मरीज और उनके परिजन गैस प्लांट के चक्कर काट रहे हैं. कोविड केयर सेंटर में 60 बेड पर ऑक्सीजन सप्लाई होती है.
रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी
बक्सर को रेमडेसिविर का इंजेक्शन बिहार सरकार की ओर से मिल गया है. लेकिन जितने पेशेन्ट आ रहे हैं उसके मुकाबले ये संख्या ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है. मिली जानकारी के मुताबिक बिहार सरकार ने 50 रेमडेसिविर का इंजेक्शन मुहैया कराया है.
बेड और वेंटिलेटर का अभाव
बक्सर में जो सुविधाएं हैं वो ही मरीजों को नहीं मिल पा रहीं हैं. मैन पावर के अभाव में 4 में से 3 वेंटिलेर बंद पड़े हैं. डुमरांव-बक्सर में 500 बेड का कोविड अस्पताल है. 4 निजी नर्सिंग होम में इलाज की व्यवस्था है. लेकिन ये कुप्रबंधन का शिकार हो गई है.
वैक्सीनेशन और जांच में अड़चनें
बक्सर में 1.25 लाख से ज्यादा लोगों को टीका लगाया जा चुका है. हर दिन करीब 2 हजार लोगों की कोविड जांच की जा रही है. 73,772 की रिपोर्ट आ चुकी है जिसमें 2589 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. अभी भी 1366 जांच पेंडिंग पड़ी हुई है. सबसे दर्दनाक बात ये है कि जिले में अब तक कोविड से मरने वालों की संख्या 42 तक पहुंच चुकी है.
शवों से पटे शवदाह गृह
बढ़ते संक्रमण की वजह से कई लोगों की मौत हो रही है. श्मशान घाट पर आने वाले शवों की संख्या बताती है कि किस कदर जिले में कोरोना ने कोहराम मचाया हुआ है. आम दिनों की तुलना में श्मशान घाट पर 3 गुना शव पहुंच रहे हैं. शव दाह के लिए केवल चरित्रवन श्मशान घाट पर ही मात्र व्यवस्था है.