बक्सर: कर्नाटक के रहने वाला एक मातृ भक्त इनदिनों सुर्ख़ियो में हैं. इस मातृ भक्त ने पिता के देहांत के बाद, अपनी 73 वर्षीय मां की इच्छा पूरी करने के लिए 68 हजार महीने की नौकरी को लात मार दी. कर्नाटक के मैसूर निवासी डी. कृष्ण कुमार 24 साल से अपनी मां को भारत भ्रमण करा रहे हैं. इसी कड़ी में कृष्ष कुमार अपनी मां के साथ बक्सर पहुंचे.
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कलयुग के श्रवण कुमार: डी. कृष्ण कुमार अपनी मां के साथ 24 साल पुरानी स्कूटर पर सवार होकर 16 जनवरी 2018 को भारत भ्रमण यात्रा पर निकले थे जो आज भी जारी है. सैकड़ों तीर्थ स्थलों का दर्शन कराते हुए कई राज्यों की सीमा को पार कर विश्वामित्र की पावन नगरी बक्सर पहुंचे कलयुग के इस श्रवण कुमार को देखने के लिए लोगो की भीड़ जुट गई. कर्नाटक के मैसूर निवासी डी. कृष्ण कुमार ने बताया कि वे बाल ब्रह्मचारी हैं. अपनी मां की सेवा करने के लिए उन्होंने शादी नहीं की. अपने मां को तीर्थ स्थलों का दर्शन कराने के लिए प्रतिदिन डी.कृष्णा कुमार 150 किलोमीटर की यात्रा करते हैं.
मां की इच्छा पूरी करने के लिए छोड़ दी नौकरी:बदलते परिवेश में जहां इंसान हर रिश्ते को कलंकित कर रहा है. वहीं कलयुग के इस श्रवण कुमार ने अपनी मां चूड़ा रत्ना को तीर्थ स्थलों का दर्शन कराकर समाज में एक आदर्श बेटा होने का कीर्तिमान स्थापित कर यह साबित कर दिया कि माता पिता से बड़ा कोई भगवान नहीं होता है. भारत भ्रमण यात्रा के क्रम में बक्सर पहुंचे इस मां बेटे ने श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर परिसर में आश्रय लिया. तीर्थयात्री डी. कृष्ण कुमार ने बताया कि अपनी मां की इच्छा पूरी करने के लिए उन्होंने यह संकल्प आज से 5 साल पहले लिया था. जिसे पूरा करने के लिए 24 साल पुरानी स्कूटर पर सवार होकर , 73 वर्षीय मां चूड़ा रत्ना के साथ भारत के तीर्थ एवं धार्मिक स्थलों का दर्शन कराने निकले हैं.
"वर्ष 2015 में पिता की मौत के बाद मां हमेशा घर की चारदीवारी में मायूस रहती थी. जिसके बाद एक दिन मां ने कहा कि जीवन मे पास के बेल्लूर मंदिर तक भी वह कभी न जा सकी. मां की बात ने मेरे मन को अंदर से झकझोर दिया और हमें उसी समय ऐसा लगा की मां को तीर्थदर्शन की लालसा है. यदि मां के इस इच्छा को हमने पूरा नहीं किया तो बेटा होने का धिक्कार है."-डी. कृष्ण कुमार, तीर्थयात्री
68 हजार 363 किलोमीटर की यात्रा पूरी: डी. कृष्ण कुमार ने बताया कि 65 हजार की नौकरी छोड़कर मां की इच्छापूर्ति में लगे हुए हैं. जिस स्कूटर को हमारे पिता ने हमें गिफ्ट की थी, उसी से मां को भारत भ्रमण करा रहा हूं कन्याकुमारी से कश्मीर तक पुण्य क्षेत्र का भ्रमण करने के बाद यूपी और बिहार राज्य छूट गए थे, जिनका सफर तय कर रहे हैं. अभी तक 68 हजार 363 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर ली है. खास बात यह है कि इस यात्रा में वे किसी से धन की मदद नहीं ली बल्कि अपने ही जमा पूंजी से मां को तीर्थदर्शन करा रहे हैं.
सीतामढ़ी के लिए रवाना: डी कृष्ण कुमार ने बताया कि मां को केरल, तामिलनाडु, पांडिचेरी, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, झारखंड, महाराष्ट्र, बिहार के कुछ हिस्से पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, मेघालय त्रिपुरा, मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड अरुणाचल प्रदेश सहित अन्य प्रदेश नेपाल, म्यामार आदि की यात्रा कर चुके हैं. श्रीराम के इस शिक्षा स्थली में नहीं आते तो भारत भ्रमण का यह यात्रा अधूरा रह जाता. यहां माता जानकी के जन्मस्थली सीतामढ़ी के लिए प्रस्थान कर रहा हूं.। बक्सर के बाद सड़क मार्ग से वह पटना के लिए रवाना हो गए, जहां से सीतामढ़ी जाएंगे.उसके बाद नेपाल के काठमांडू होते हुए अन्य स्थानों का भ्रमण कर मैसूर लौट जाएंगे.