बक्सरःभारत सरकार के द्वारा खेलों के प्रति युवाओं का रुझान बढ़ाने के लिए चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाएं बिहार में दम तोड़ रही हैं. बक्सर जिले में एक भी खेल का मैदान में नहीं है, जहां युवा खिलाड़ी प्रैक्टिस कर अपने सपनों को उड़ान दे सकें. अंतरराष्ट्रीय-राष्ट्रीय स्तर तो छोड़िए, राज्यस्तरीय प्रतियोगिता की तैयारियों का भी अभाव जिला झेल रहा है.
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बक्सर जिले की आबादी लगभग 24 लाख है. कुल आबादी का 65% युवा है, जिनमें विभिन्न क्षेत्रों में बुलंदियों को हासिल करने की क्षमता होती है. लेकिन वे संसाधनों के अभाव में दम तोड़ रहे हैं. शहर के बाहर ऐतिहासिक किला मैदान में खिलाड़ी प्रैक्टिस किया करते हैं, लेकिन काफी मशक्कतें झेलनी पड़ती है. कभी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन तो कभी राजनीतिक सभाएं. इन परिस्थितियों को झेलते हुए यहां भी प्रैक्टिस करना युवाओं के लिए मुश्किलों भरा है.
हैरानी की बात है कि आजादी के बाद से बक्सर से कई सांसद और विधायक चुने गए, लेकिन पहले सांसद के रूप में चुने गए डुमरांव महाराज कमल सिंह के द्वारा किए गए कार्यों की विरासत को भी वो संभाल नहीं पाए. आलम ये हुआ कि बक्सर के जिस स्कूल में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद पढ़ाने के लिए आते थे, आज वह परिसर जलजमाव की जद में है. इस तरफ न तो किसी अधिकारी का ध्यान गया है और न ही जनप्रतिनिधियों ने संज्ञान लिया.
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स्थानीय लोग बताते हैं कि क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी ने इसी किला मैदान में 30 जनवरी, 1998 को 2 छक्के एवं कई चौकों की मदद से 55 रनों की पारी खेली थी. इस मैदान में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, सुशील कुमार मोदी सहित बड़े नेताओं का हेलिकॉप्टर भी उतर चुका है. लोग बताते हैं कि जनप्रतिनिधियों ने अक्सर आश्वासन दिया है कि चुनाव जीतने के बाद इसे स्टेडियम में कन्वर्ट किया जाएगा, लेकिन अब तक इस मैदान का हाल खस्ता ही है.
भाकपा माले विधायक अजीत कुमार सिंह ने मैदान की दुर्दशा को शर्मनाक बताया है. विधायक ने कहा कि उनका विधायकों का फंड भी कोरोना के नाम पर ले लिया गया है. इस समस्या से निजात को लेकर जिलास्तरीय बैठक भी हुई, जिसमें जानकारी दी गई कि इस मैदान का चयन 'खेलो इंडिया' के तहत किया है. लिहाजा इसे लेकर कुछ भी अब विभाग ही कर सकता है. विधायक इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं. लेकिन, बावजूद सरकार इसे तत्काल नहीं बनाती है तो अगले वित्तीय वर्ष का फंड आने के बाद दुरुस्त करने का उन्होंने आश्वासन दिया है.
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गौरतलब है कि, साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जब प्रचंड बहुमत के साथ महागठबंधन की सरकार वापस आई थी, उस समय बतौर खेल मंत्री रामचंद्र राम ने घोषणा की थी कि सभी जिलों में एक स्टेडियम का निर्माण कराया जाएगा. महागठबंधन की सरकार कुछ दिनों तक चली भी. फिर इसके बाद नीतीश कुमार ने एनडीए के साथ जाकर सरकार बना ली. राजनीतिक परिस्थितियां तो बदलती रही, लेकिन इस मैदान की हालात नहीं बदल सका है.