बक्सर: 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव की गाइडलाइन जारी हो गयी है, लेकिन राजनीतिक पार्टियों के नेताओं का जिले में आने का सिलसिला पिछले 15 दिनों से जारी है. सत्ताधारी दल विकास का हवाला देकर मतदाताओं को अपने पक्ष में गोलबंद करने में लगे हुए हैं, तो वहीं, विपक्ष सरकार की नाकामियों को उजागर कर खुद को जनता का सबसे बड़ा शुभचिंतक बताने में लगे हुये हैं. राजनीति के इस मैदान में चल रहे सियासी दांव पेच के बीच बक्सरवासी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.
बता दें कि वर्ष 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में जाने से पहले भी राज्य सरकार के तत्कालीन पीएचडी मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के द्वारा जिले के सिमरी प्रखंड के अंतर्गत केशोपुर पंचायत में 100 करोड़ से अधिक रुपए की लागत से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की सौगात बक्सर वासियों को दी गई थी, लेकिन चुनाव का परिणाम आने के साथ ही उस योजना की सारी राशि की निकासी तो हो गई, लेकिन वह योजना 11 साल बाद भी जमीन पर नहीं उतर पाई है.
वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव
वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में जाने से पहले भारत सरकार के परिवार स्वास्थ्य कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे के द्वारा बक्सर को पर्यटन का दर्जा दिलाने, रामायण सर्किट से जोड़ने और बक्सर के युद्ध और चौसा के युद्ध के मैदान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का वादा किया गया था, लेकिन बक्सर की जनता को बीजेपी के नेताओं के वादे पर भरोसा नही हुआ तो बक्सर की जनता ने यहां की चारों विधानसभा सीट महागठबंधन की झोली में डाल दी. बीजेपी अपनी पारंपरिक सीट भी नही बचा पाई.
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव
2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे और स्थानीय कांग्रेस विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी के द्वारा जिले के पुराने सदर अस्पताल को दूसरी जगह स्थापित कर पुराने सदर अस्पताल को शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कंवर्ट कर दिया गया, लेकिन जनता की नाराजगी को देखते हुए लोकसभा चुनाव में जाने से 6 महीना पहले उसी शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का नाम बदलकर दूसरी बार उद्घाटन केंद्रीय मंत्री और स्थानीय विधायक ने कर दिया.