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BUXAR NEWS: गंगा में शव मिलने के साइड इफेक्ट्स, कमाई बंद होने से भुखमरी की कगार पर मछुआरे - Corona Pandemic

कोरोना महामारी (Corona Pandemic) की दूसरी लहर के दौरान बिहार के बक्सर (Buxar) जिले में 10 मई को गंगा नदी किनारे लाशों के अंबार मिलने के बाद से ही मछुआरों की रोजी-रोटी पर संकट आया गया है. एक अफवाह के बाद से इनकी कमाई बंद हो गई. पढ़ें पूरी खबर..

गंगा में शव मिलने के बाद के साइड इफेक्ट
गंगा में शव मिलने के बाद के साइड इफेक्ट

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Published : Jun 14, 2021, 3:13 PM IST

Updated : Jun 14, 2021, 3:39 PM IST

बक्सर: बिहार के बक्सर जिले में गंगा में शव (Bodies floating in river Ganga in Buxar) मिलने के बाद से नदी के दूषित होने की अफवाहों ने मछुआरों और नाविकों (Fisherman) के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा कर दिया है. आज उनका परिवार दाने-दाने के लिए मोहताज है. बता दें कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बीते 10 मई को जिले के चौसा प्रखण्ड अंतर्गत महदेवा गंगा घाट एवं उत्तरप्रदेश के गाजीपुर और बलिया जिले के गंगा घाटों से सैकड़ों लाशें बरामद हुई थीं.

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नाविकों ने ईटीवी भारत से बयां किया दर्द
गंगा नदी के जल में वायरस होने की उड़ रही अफवाहों को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने रामरेखा घाट पहुंचकर हालात का जायजा लिया. ईटीवी भारत से नाविकों ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि गंगा नदी पर आश्रित नाविक, मछुवारे, पंडा एवं पुजारी के सामने रोजी-रोटी का संकट हो गया है. बाजार में कोई मछली का खरीददार तक नहीं मिल रहा है. पिछले 2 सालों से लॉकडाउन लग रहा है. अनलॉक होने के बाद भी जिला प्रशासन द्वारा गंगा नदी में बोट परिचालन की अनुमति नहीं मिली है.

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आमदनी के सारे रास्ते बंद
नाविक परशुराम मल्लाह ने बताया कि साल 2020 में ही बिटिया का विवाह तय किया था. लेकिन लॉकडाउन लग जाने के कारण आमदनी के सारे रास्ते बंद हो गये और आर्थिक स्थिति खराब हो गई. इस साल बिटिया का विवाह का दिन तय किया था. लेकिन इस बार भी लॉकडाउन लग जाने के कारण भुखमरी की स्थिति हो गई है. घर की औरतें खेतों में जाकर मजदूरी कर रही हैं, जिससे किसी तरह परिवार की भूख मिट रही है.

'जब कोरोना काल में लोग अपनी संतानों, माता-पिता के शवों का भी अंतिम संस्कार करने से परहेज कर रहे थे. उस संकट की घड़ी में हम लोगों ने गंगा से लावारिश लाशों को निकालकर अंतिम संस्कार कराया. जिला प्रशासन के अधिकारियों के द्वारा सभी लाशों को गंगा नदी से निकालकर अंतिम संस्कार करने पर प्रतिदिन 700 रुपये के हिसाब से बोट का किराया एवं मजदूरी देने की बात कही गई थी. 11 मई से लेकर 2 जून तक लगातार जिला प्रशासन के अधिकारियों के द्वारा काम लिया गया. इसके एवज में मात्र एक हजार रुपये का ही भुगतान किया गया. लेकिन अभी तक मजदूरी का पैसा लेने के लिए सरकारी कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.':- परशुराम मल्लाह, नाविक

नावों के परिचालन पर रोक से मुश्किल बढ़ी

'कभी भी गंगा नदी का जल हरा नहीं हुआ था. लेकिन इस बार तालाब से भी खराब स्थिति गंगा की हो गई है. धीरे-धीरे गंगा का जलस्तर बारिश के कारण बढ़ रहा है. नदी में बहाव होने से पानी अब साफ होने लगा है. लोग नदी में स्नान करने से भी डर रहे हैं.' :- लाल बाबा, गंगा आरती के पुजारी

किसानों की बढ़ी मुश्किलें
पिछले कुछ दिनों से गंगा नदी का जल हरा हो गया है. जिसे लेकर तरह-तरह की अफवाहें हैं. कहा ये कहा जा रहा है कि गंगा नदी से सैकड़ों लाशें मिली थीं, गंगा नदी के जल में कोरोना है. जिस किसान ने गंगा नदी के जल से फसलों की सिंचाई की हैं, उनकी सब्जी के फसल में भी कोरोना है.

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नाविकों को अब तक नहीं मिली अनुमति
नाविकों ने कहा कि जिला प्रशासन ने अल्टरनेट दिन पर दुकाने खोलने की अनुमति दे दी है लेकिन अभी भी गंगा नदी में नावों का परिचालन पूरी तरह से बंद है. जिसके कारण उनके सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा अल्टरनेट डे के आधार पर नदी में भी नाव चलाने के लिए छूट देनी चाहिए. जब दुकानें खुल सकती हैं तो फिर गंगा नदी में नाव क्यों नहीं?

कमाई बंद होने मछुआरों पर रोजी रोटी का संकट

वहीं, गंगा जल में कोरोना वायरस होने के अफवाहों के बीच स्थानीय लोगों ने दावा करते हुए कहा कि राज्य सरकार के लोक स्वास्थ्य अभियन्त्रण विभाग बक्सर से गंगा जल का सैम्पल लिया है. जिसकी जांच पटना में स्थित छज्जू बाग में की जा रही है. हालांकि, इस संदर्भ में जिला लोक स्वास्थ्य अभियन्त्रण विभाग के अधिकारियों को कोई जानकारी नहीं है. अधिकारियों ने बताया कि बक्सर में इस तरह की प्रयोगशाला नहीं है.

Last Updated : Jun 14, 2021, 3:39 PM IST

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