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मौसम की मार और अधिकारियों की अनदेखी से परेशान हैं बक्सर के किसान

बक्सर में बदले मौसम से किसान परेशान हैं. राजपुर प्रखंड के किसानों ने खेत में सिंचाई तो कर ली लेकिन उसकी नमी खत्म नहीं हो रही. कई किसानों ने कहा कि यूरिया की कालाबाजारी होने के कारण किसान यूरिया की खरीद नहीं कर पा रहे हैं.

खेतों में पाला गिरने से समस्या
खेतों में पाला गिरने से समस्या

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Published : Jan 19, 2021, 3:52 PM IST

बक्सर: बक्सर में मौसम का मिजाज बदल गया है. 13 जनवरी से ही घने कोहरे की चादर में पूरा जिला लिपटा है. आलू, टमाटर, मटर, सरसों की फसल को भारी नुकसान हो रही है. पाला फसलों को मारने लगा है. किसानों की फसलें सूखने लगी हैं. वहीं कुछ किसान यूरिया की कालाबाजारी के कारण यूरिया की खरीद नहीं कर पा रहे हैं. राजपुर प्रखंड के कुछ किसानों ने इसकी शिकायत जनप्रतिनिधियों से की है. आरोप लगाते हुए किसानों से कहा है कि 265 रुपये की यूरिया को दुकानदार 500 रुपये में बेच रहे हैं. शिकायत करने पर अधिकारी जमीन के पेपर की मांग करते हैं.

खेतों से नहीं हट रही नमी

85 हजार हेक्टेयर भूमि पर गेहूं फसल की हुई है बुआई
कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार बक्सर जिला में 80-85 हजार हेक्टेयर भूमि पर केवल गेहूं फसल की बुआई हुई है. जबकि, टमाटर 950 हेक्टेयर भूमि पर, सब्जी मटर 750 हेक्टेयर भूमि पर, आलू 3 हजार हेक्टेयर भूमि पर, मिर्च 500 हेक्टेयर भूमि पर, बैगन 700 हेक्टेयर भूमि पर, गोभी 750 हेक्टेयर भूमि पर, मसूर 3 हजार 200 हेक्टेयर भूमि पर, अरहर लगभग 300 हेक्टेयर भूमि पर और चना की 2 हजार 500 हेक्टेयर भूमि पर किसानों ने खेती की है.

हालांकि धीरे-धीरे जिला के किसानों की रुझान चन्ना फसल की ओर बढ़ रहा है. क्योंकि कम लागत में किसान इसे आसानी से उपज कर लेते हैं.

देखें रिपोर्ट

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क्या कहते हैं बक्सर प्रखंड के किसान
मौसम में आये बदलाव को लेकर किसान हरदयाल केशरी ने बताया कि घने कोहरे के कारण फसलों को पाला मारने लगा है. पिछले एक सप्ताह से पूरे दिन घने कोहरे की चादर में पूरा इलाका लिपटा हुआ रहा. जिससे फसलों को काफी नुकसान हो रहा है. जिस खेत की सिंचाई हम लोगों ने पहले कर दी है. उस खेत की नमी खत्म नहीं हो रही है. जिस कारण फसल पीली होने लगी है.

सरसों की फसल का हाल बुरा

सब्जी की खेती का भी बुरा हाल
सब्जी की खेती करने वाले युवा किसान कन्हैया कुमार यादव ने बताया कि जिस तरह से लगातार मौसम में बदलाव हो रहा है. उसके कारण बैगन, आलू, मटर, गोभी, टमाटर की जो फसल है. उसे पाला मार चुका है. अधिकारियों को बार-बार सूचना देने के बाद भी कोई देखने तक नहीं आता है. किसान सलाहकारों से भी कई बार सुझाव मांगी गयी तो उनके द्वारा आलू फसल के चारों तरफ अलाव जलाने की सलाह दी जा रही है. जो संभव नहीं है. बड़े जगह में अलाव जलाकर खेतों के तापमान को बरकरार रखना संभव नहीं है.

सरसों की फसल को हो रहा नुकसान

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यूरिया की हो रही कालाबाजारी
अपनी समस्याओं को लेकर जनप्रतिनधियों से गुहार लगाने पहुंचे राजपुर प्रखंड के किसान जितेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि नहर में पानी आने के बाद गेंहू फसल की सिंचाई का काम हमलोगों ने सम्पन्न कर लिया है. लेकिन यूरिया की कालाबाजारी होने के कारण, हम लोग यूरिया खरीदने में सक्षम नहीं हैं. एक बोरी यूरिया की कीमत सरकार के द्वारा 265 रुपये तय किया गया है. उसके बाद भी उसे 500 रुपये में बेचा जा रहा है.

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जिला कृषि पदाधिकारी को की थी शिकायत
किसानों की समस्या को लेकर 10 दिन पहले ही बीजेपी के किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रवक्ता सुशील राय ने जिला कृषि पदाधिकारी कृष्णनदन चक्रवर्ती को यूरिया की हो रहे कालाबाजारी से अवगत कराया था. जिसके बाद गुस्से से लाल हुए जिला कृषि पदाधिकारी ने बीजेपी प्रवक्ता सुशील राय को दुबारा फोन ना करने की कथित रूप से धमकी दी थी. जिसकी लिखित शिकायत बीजेपी नेता ने जिलाधिकारी से की है.

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