बक्सरः कोरोना वैश्विक महामारी के बीच आर्थिक मंदी से जूझ रहे जिले के किसानों के चेहरे पर मुस्कान झलक रहा है. धान के कटोरे के नाम से विख्यात जिले के किसानों को इस बार बाढ़ एवं सुखाड़ का सामना नहीं करना पड़ा है. मौसम की मेहरबानी और श्रमिकों की उपलब्धता के कारण समय से एक माह पूर्व ही, किसानों ने धान फसल की रोपनी संपन्न कर ली है. जिसका परिणाम है कि पूर्वा नक्षत्र में ही धान के गोफे में बाली आ गया है. जबकि प्रत्येक वर्ष एक माह बाद चित्रा नक्षत्र में धान के गोफे में बाली आता था.
धान की रोपनी करती महिलाएं क्या कहते है वैज्ञानिक
जिले में फसल की स्थिति को लेकर कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक रामकेवल ने बताया कि जिले में समय-समय पर हो रही बारिश एवं श्रमिकों के उपलब्धता के कारण शत प्रतिशत भूमि पर धान फसल के रोपनी हुआ है. फसल की स्थिति को देखकर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि बक्सर जिले में इस साल खरीफ फसल की बंपर उत्पादन होगी.
किसानों के चेहरे मुस्कुराएं
वहीं जिले के किसानों ने बताया कि इस बार समय-समय पर बारिश होने के कारण धान की फसल को न तो पम्पसेट से सिंचाई करना पड़ा और ना ही बाढ़ एवं सूखा का सामना करना पड़ा. जिसके कारण जिले में शत प्रतिशत भूमि पर धान की रोपनी हो गई है. समय इसी तरह साथ दिया तो जल्द स्थिति सामान्य हो जाएगी.
इस साल धान की फसल हुई अच्छी
जिले के हालात एवं विकास कार्यों का समीक्षा करने के लिए ग्रामीण इलाकों में निकले, जिला अधिकारी अमन समीर ने किसानों के खेत में खरीफ फसल को देख प्रसन्नता प्रकट करते हुए कहा कि, इस बार जिले में धान की फसल काफी अच्छी है. अधिकांश बाहर से आये श्रमिकों की ओर से भी इसमें बहुत बड़ा योगदान दिया गया है. सब कुछ ठीक रहा तो जिले में इस बार रिकॉर्ड धान का उत्पादन होगा. जिला प्रशासन का यह प्रयास है कि किसानों को समय-समय पर सुविधा मुहैया कराया जाएं और उन्हें किसी तरह की परेशानियों का सामना ना करना पड़े.
गौरतलब है कि कृषि विभाग की ओर से इस बार बक्सर जिले में 90 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान फसल उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन कोरोना वैश्विक महामारी में भी मौसम की अनुकूलता के कारण किसान लक्ष्य से अधिक शत प्रतिशत भूमि पर धान फसल के उत्पादन करने में सफलता हासिल की है.