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टिड्डी के बाद अब फॉल आर्मीवर्म कीट से किसान खौफजदा, देखते ही देखते चट कर जाते हैं फसल

वीर कुंवर सिंह कृषि विश्वविद्यालय डुमरांव के वैज्ञानिकों को जांच के दौरान पता चला कि अमेरिका में पाए जाने वाले फॉल आर्मीवर्म ने बक्सर में भी दस्तक दे दी है. यह कीट एक ही बार में 100 किलोमीटर की यात्रा तय करता है. इसकी एक मादा एक बार में एक हजार से 1500 तक अंडे दे सकती है. इसलिए इनकी जनसंख्या चक्रवृद्धि ब्याज के अनुसार बढ़ती है.

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Published : Jun 13, 2020, 7:15 PM IST

Updated : Jun 14, 2020, 6:07 PM IST

बक्सर:जिले के किसानों के लिए साल 2020 मुसीबतों भरा रहा. लॉकडाउन से बेहाल किसानों ने किसी तरह खेतों में सब्जी और मवेशियों के लिए चारे का उत्पादन शुरू ही किया था कि स्थानीय टिड्डियों ने उनकी फसलों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया. प्रदेश का किसान इससे उबर पाता उससे पहले ही अमेरिकी कीट फॉल आर्मीवर्म ने दस्तक दे दी. इनके प्रकोप से अचानक किसानों की फसल सूखने लगी और उनकी वृद्धि रुक गई. कई इलाकों में किसानों के मक्के और मूंग की फसल को नुकसान पहुंचा.

बर्बाद हुई फसल

'भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई'
डुमरांव अनुमंडल अंतर्गत सिमरी प्रखंड के किसानों ने बताया कि गंगा दियारा इलाके में सैकड़ों एकड़ में लगे मक्के की फसल को इस कीट ने पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है. विभागीय अधिकारियों को बार बार सूचना देने के बाद भी कोई पहल नहीं की गई है. कीटनाशक दवा छिड़कने का भी कोई असर नहीं हो रहा है. लोगों से कर्ज लेकर खेती की थी लेकिन अब भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है. ना कर्ज चुकाने के लिए खेतो में फसल बची और ना ही घरों में पैसा है.

बर्बाद हुई फसल

वीर कुंवर सिंह कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने की पड़ताल
किसानों ने इसकी जानकारी वीर कुंवर सिंह कृषि विश्वविद्यालय डुमरांव के वैज्ञानिकों को दी. किसानों से मिली जानकारी के बाद जब, वैज्ञानिक खेतों में पहुंचे तो जांच के दौरान उन्हें पता चला की अमेरिका में पाए जाने वाले फॉल आर्मीवर्म ने बक्सर में भी दस्तक दे दी है. कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बताया कि सिमरी प्रखंड के किसानों की सूचना पर 4 जून 2020 को जब हमारी टीम वहां पहुंची. यह कीट एक ही बार में 100 किलोमीटर की यात्रा तय करता है. इसकी एक मादा एक बार में एक हजार से 1500 तक अंडे दे सकती है. इसलिए इनकी जनसंख्या चक्रवृद्धि ब्याज के अनुसार बढ़ती है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

लेपिडोप्टेरा प्रजाति का एक कीट है फॉल आर्मीवर्म
फॉल आर्मीवर्म लेपिडोप्टेरा प्रजाति का एक कीट है. लेपिडोप्टेरा प्रजाती में तितलियां और पतंगे शामिल हैं. फॉल आर्मीवर्म इस कीट के जीनवचक्र का लार्वा रुप है. शब्द 'आर्मीवर्म' कीटों की कई प्रजातियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो अक्सर लार्वा चरण में रहकर बड़े पैमाने पर फसलों को नुकसान पहुंचाता है. इसे 'एफएडब्ल्यू' भी कहा जाता है. 2018 से ही देश में इस विदेशी कीट का असर बढ़ता जा रहा है. हालांकि सरकार की ओर से अबतक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं.

पत्तियां भी हुई बर्बाद

इस कीट के जीवन चक्र में चार अवस्थाएं होती हैं:

  • अंडा- मादा कीट एक बार में 1 हजार से 1500 तक अंडे देती है.
  • लार्वा- यह फसलों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाने वाली अवस्था है , इसे साधारण भाषा में लट के नाम से जानते हैं. इसका रंग शुरुआत में हरा और बाद में भूरा होता है. इसके आगे के भाग पर अंग्रेजी का उल्टा 'वाई'(Y) और पीछे के भाग पर 4 काले रंग के धब्बे होते हैं. यह दिन के समय मिट्टी में रहती है और रात के समय ऊपरी सतह पर आकर फसल की पत्तियों में छेद कर देती है. इसके बाद ये धीरे-धीरे तने का रस चूस जाती है.
  • प्यूपा- कीट के जीवनचक्र का ये हिस्सा मिट्टी में 2-8 सेमी. की गहराई में सोई अवस्था में पाया जाता है. इसकी यह अवस्था फसलों को नुकसान पहुंचाने में सक्षम नहीं होती.
  • एडल्ट-इसे मॉथ और पतंगे के नाम से भी जाना जाता है, जो एक बार में घास के ऊपर की सतह पर एक बार में 200 अंडे देती है. इसका रंग हल्का हरा और सफेद होता है. ये काफी तेज गति से उड़ती है. एक रात में ये कीट 100 किलोमीटर तक भ्रमण कर सकता है.
    फॉल आर्मीवॉर्म कीट

देश में इसके प्रसार की अनुकूल परिस्थितियां
एफएडब्ल्यू या फॉल आर्मीवर्म कीट के प्रसार के लिए देश का तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियां बिल्कुल अनुकूल हैं. माना जाता है कि तापमान 15 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच होने पर एक मादा कीट 1500 तक अंडे दे सकती है. ये कीट लंबी दूरी तक उड़ भी सकते हैं. इस वजह से ये दूर-दूर तक फैल भी सकते हैं.

Last Updated : Jun 14, 2020, 6:07 PM IST

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