बक्सर: कोरोना वैश्विक महामारी के बीच प्रवासी श्रमिकों के सहयोग से जिला के किसानों ने 90,000 हेक्टेयर भूमि पर धान की उत्पादन कर अब तक के सभी रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी किसान अपने फसल को नहीं बेच पा रहे हैं. धान की बिक्री करने के लिए किसान कभी अधिकारियों तो कभी व्यापारियों के कार्यालय और दरवाजे का चक्कर लगा रहे हैं. उसके बाद भी उनकी धान की बिक्री नहीं हो रही है.
राज्य सरकार ने दावा किया था कि 15 नवंबर से 1868 रुपये प्रति क्विंटल सधारण धान और जबकि 1888 रुपये प्रति क्विंटल ए ग्रेड के धान की खरीदारी सरकारी संस्थओं के माध्यम से होगी. उसके बाद भी अब तक जिले के सभी प्रखंडों में धान की खरीदारी नहीं हो रही है. जिसके कारण किसान रबी फसल की बुवाई भी नहीं कर पा रहे हैं.
डीएम ने 48 घंटे पहले किया था दावा
धान खरीदारी को लेकर ईटीवी भारत द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए जिलाधिकारी अमन समीर ने 48 घंटे पहले यह दावा किया था कि जिले के सभी पंचायतों में धान की खरीदारी शुरू कर दी गई है. जो 32 डिफॉल्टर पैक्स हैं, उसको नजदीकी पैक्स से टैग भी कर दिया गया है. अब तक जिला में 300 मैट्रिक टन धान खरीदारी करने का दावा भी प्रशासनिक अधिकारियों ने किया है. लेकिन सरकारी सिस्टम का दावा जमीन पर कितना है. यह जानने के लिए जब ईटीवी भारत की टीम ग्रामीण इलाकों में पहुंची तो किसानों ने बताया कि 1888 रुपये प्रति क्विंटल की बात कौन करे, यहां तो 1200 रुपये प्रति क्विंटल भी धान को खरीदने वाला कोई नहीं मिल रहा है. पिछले 1 माह से धान खलिहान में पड़ा हुआ है लेकिन अब तक कोई सरकारी संस्था इसे नहीं खरीद रहा है. कर्ज में डूबे किसानों ना तो रबी फसल की बुवाई कर पा रहे हैं और ना ही उनका फसल बिक रहा है.
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1 माह से खलिहान में पड़ा धान
'अब तक इस पंचायत में किसी भी सरकारी संस्थाओं के द्वारा धान की खरीददारी शुरू नहीं किया गया है. जो किसान कर्ज लेकर खेती किये थे, वह अपना धान स्थानीय व्यपारियों को आने-पौने दाम में बेचकर कर्ज चुका रहे है. सरकार भी यह जानती है कि जो छोटे किसान हैं, वह व्यपार मण्डल तक नहीं पहुंच सकते हैं. क्योंकि उनके पास कोई संसाधन ही नहीं है. ऐसे में धान 1 माह से खलिहान में पड़ा हुआ है. यदि प्रशासनिक अधिकारी राशन डीलरों को कुछ सहूलियत के साथ धान की खरीददारी करने का इजाजत दे दे, तो 1 माह में सभी किसान आसानी से अपना धान बेच सकते हैं और उन्हें परेशानी भी नहीं होगी. क्योंकि प्रत्येक गांव में राशन डीलर उपलब्ध है.' - अनिल यादव, मुखिया, जगदीशपुर पंचायत
विधायक ने दिया 5 दिनों का अल्टीमेटम
'विधानसभा शीतकालीन सत्र के दौरान इस मामले को सदन में उठाया था. उसके बाद भी अब तक जिले में धान की खरीदारी ना के बराबर हुआ है. हम किसान के बच्चे हैं और किसानों ने जिस भरोसा के साथ मुझे जिताया है, उस भरोसा को टूटने नहीं देंगे. यदि 5 दिनों के अंदर पूरे जिले में धान की खरीदारी सुचारू रूप से नहीं शुरू हुआ तो हम जिला चलने नहीं देंगे, जब किसानों का काम नहीं होगा, तो जिला में कोई भी सरकारी काम भी नहीं होगा. पूरे जिला का चक्का जाम करेंगे.' - अजित कुमार सिंह, विधायक, महागठबंधन
गौरतलब है कि जिला के 11 प्रखंड में से मात्र 2 प्रखंड में कुछ पैक्सों के द्वारा ही धान की खरीदारी शुरू की गई है. जिसके कारण शेष 9 प्रखंड के किसानों में आक्रोश है. देखने वाली बात यह होगी कि राज्य सरकार सरकार के धान खरीदने का दवा जमीन पर कब तक उतर पाता है.