बक्सर:जिला कृषि पदाधिकारी पर अब राजनीतिक दलों के नेताओं ने चौतरफा हमला बोलना शुरू कर दिया है. डीएम अमन समीर के निर्देश के बाद भी जिला कृषि पदाधिकारी कृष्ण नंदन चक्रवर्ती ने ईटीवी भारत के संवाददाता को वर्षापात की रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराई. इसको लेकर सदर विधायक और राजद के नेताओं ने जिला कृषि पदाधिकारी पर एफआईआर दर्ज कराने की मांग की है.
दरअसल, कोरोना काल में परेशान किसानों की समस्या और कृषि की स्थिति को जानने के लिए ईटीवी भारत के संवादाता ने जिला अधिकारी से संपर्क किया था. तब उन्होंने जिला कृषि पदाधिकारी कृष्ण नंदन चक्रवर्ती को फोन कर वर्षापात की रिपोर्ट और कृषि विभाग की ओर से धान उत्पादन के लिए रखे गए लक्ष्य की जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए. इसके बावजूद उन्होंने यह कहकर रिपोर्ट देने से इनकार कर दिया कि मीडिया में उनके पक्ष में खबरें नहीं दिखाई जाती हैं. इसको लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है.
संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी, कांग्रेस सदर विधायक क्या कहते हैं विधायक?
डीएम के आदेश का पालन नहीं करने वाले जिला कृषि पदाधिकारी पर निशाना साधते हुए स्थानीय विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने कहा कि इटीवी भारत ने ढईचा घास बीज घोटाला और अरहर बीज घोटाला को उजागर किया था. उसके बाद मैंने बिहार विधानसभा के पटल पर इस बात को तथ्य के साथ रखा. जिसकी जांच अभी भी चल रही है. लेकिन दुर्भाग्य है कि जिलाधिकारी के भी आदेश को भी यहां के जिला कृषि पदाधिकारी नहीं मानते हैं. इससे साफ हो जाता है कि सरकार के संरक्षण में इस तरह का खेल चल रहा है. जिला अधिकारी ऐसे कृषि पदाधिकारी पर आदेश का अवमानना करने का एफआईआर दर्ज कराए.
भरत यादव, राजद के पूर्व जिला अध्यक्ष आरजेडी पूर्व जिलाध्यक्ष ने भी साधा निशाना
वहीं राजद के पूर्व जिला अध्यक्ष भरत यादव ने कहा कि जिस तरह से कृषि कार्यालय की मिलीभगत से किसानों की योजनाओं का हकमारी की जा रही थी, इसका खुलासा ईटीवी भारत ने किया. दुर्भाग्य है कि डीएम के आदेश के बाद भी अधिकारी जवाब नहीं देते हैं. यदि लॉकडाउन नहीं होता तो राजद का एक एक कार्यकर्ता किसानों की योजनाओं की हकमारी करने वाले कृषि विभाग के कार्यालय में तालाबंदी करते. उन्होंने भी जिलाधिकारी से कार्रवाई की मांग की.
गौरतलब है कि लॉकडाउन के बीच 32 हजार 800 प्रवासी श्रमिक बक्सर में आए हुए हैं. जिला प्रशासन की ओर से 8 हजार लोगों को जॉब कार्ड दिया गया है. जबकि 60% प्रवासी कृषि कार्य में लगे हुए हैं. मौसम के अनुकूलता और श्रमिकों की उपलब्धता के कारण समय से 20 दिन पहले धान की रोपनी का कार्य संपन्न हो गया.