बक्सर में लू से लोगों की मौत बक्सर: बिहार के बक्सर में भीषण गर्मी देखने को मिल रही है, जिसे लेकर मौसम विज्ञान विभाग ने जहां एक तरफ ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग ने भी लोगों को दिन में घर से बाहर निकलते समय एहतियात बरतने का निर्देश दिया है. जिले में गर्मी के दिनों में होने वाली मौतों के आंकड़ो में ढाई से तीन गुणा का इजाफा हो गया है. प्रतिदिन जिस मुक्तिधाम में 30 से 35 शवों का अंतिम संस्कार होता था. अब उसकी संख्या बढ़कर 90 से 100 हो गई है. इसी बीच शुक्रवार को बक्सर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या दो पर भीषण गर्मी की चपेट में आकर एक 70 वर्षीय वृद्ध की मौत हो गई.
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दिन में हो रही मौतें, रात को श्मशान लग रहा तांता:रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर हुई मौत हुई शख्स की पहचान नहीं हो सकी है. जीआरपी ने शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद अंतिम संस्कार करा दिया है. थानाध्यक्ष ने बताया कि मृतक भिखारी था जिसकी मौत लू लगने से होने की संभावना जताई जा रही है. सूर्य की आग उगलती किरणों के साथ ही पछुवा हवा के थपेड़ो ने लोगों का जीना दुर्भर कर दिया है. सामान्य दिनों में हो रहे मौत के आंकड़ो में ढाई से तीन गुणा का वृद्धि हो गई है. जिसके कारण लोग कतार में श्मशान खाली होने का इंतजार कर रहे हैं.
"मृतक भिखारी था जिसकी मौत लू लगने से होने की संभावना जताई जा रही है. सूर्य की आग उगलती किरणों के साथ ही पछुवा हवा के थपेड़ो ने लोगों का जीना दुर्भर कर दिया है. सामान्य दिनों में हो रहे मौत के आंकड़ो में ढाई से तीन गुणा का वृद्धि हो गई है. जिसके कारण लोग कतार में श्मशान खाली होने का इंतजार कर रहे हैं."-थानाध्यक्ष
बदहाल है मिनी काशी का श्मशान घाट: उत्तरायणी गंगा के तट पर बना मिनी काशी का यह शमशान घाट अपने बदहाली पर आंसू बहा रहा है. मुक्तिधाम में अपने परिजनों के अंतिम संस्कार के लिए दूरदराज के इलाकों से चलकर पहुंचने वाले लोगों के लिए ना तो पीने का पानी का व्यवस्था है और ना ही शौचालय का कोई इंतजाम है. टैक्स के नाम पर प्रतिदिन लाखों की उगाही इस श्मशान घाट से होती है उसके बाद भी अधिकारी केवल कागजो पर ही बड़े-बड़े दावे और घोषणा करते नजर आ रहे हैं.
अंधेरे में होता है अंतिम संस्कार: उत्तरायणी गंगा के तट पर स्थापित इस श्मशान घाट पर अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करने के लिए बिहार के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं. जहां ना तो पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था है और ना ही सुरक्षा की. आलम यह है कि चिता की लकड़ी से उठ रहे आग की लपटों की रौशनी में लोग काम निपटाते है. नगर परिषद के अधिकारियों के द्वारा दाह संस्कार की जरूरत के सामानों का रेट चार्ट भी नहीं लगाया गया है. जिसके कारण लकड़ी बेचने वाले से लेकर अन्य सामानों की बिक्री करने वाले दुकानदार परिजनों से मनमाने पैसे की वसूली करते हैं.