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देख लीजिए CM साहब... अस्पतालों में ना स्ट्रेचर है, ना ही एम्बुलेंस, बाइक से ढोये जा रहे हैं शव - बक्सर से बड़ी खबर

बक्सर (Buxar) जिले का डुमरांव अनुमंडलीय अस्पताल (Sub Divisional Hospital) वेंटिलेटर पर अंतिम सांसे गिन रहा है. इस अस्पताल में मरीज को ना तो जीते जी एम्बुलेंस (Ambulance) मिली और ना ही मरने के बाद शव वाहन मिला. सरकारी अस्पताल से परिजन मोटरसाइकिल के जरिए शव को अंतिम संस्कार के लिए ले गए. देखें रिपोर्ट..

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Published : Jul 12, 2021, 4:53 PM IST

Updated : Jul 12, 2021, 5:20 PM IST

बक्सर: बिहार के बक्सर (Buxar) जिले का डुमरांव अनुमंडलीय अस्पताल (Sub Divisional Hospital) को इन दिनों खुद इलाज की जरूरत है. इस अस्पताल में मरीज संतोष वर्मा के परिजन उन्हें इलाज के लिए मोटरसाइकिल से लेकर पहुंचे थे. जहां ना डॉक्टर साहब मिले और ना ही स्ट्रेचर मिला. 30 मिनट बाद जब डॉक्टर साहब पहुंचे, तब तक उसकी मौत हो गई थी. जब परिजनों को शव ले जाने के लिए एम्बुलेंस (Ambulance) नहीं मिली तो मोटरसाइकिल पर ही शव को लेकर अपने घर चले गए.

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वहीं, दूसरी तस्वीर वार्ड नम्बर 4 के रहने वाले संतोष कुमार की है, जो नहाने के दौरान कुएं में गिर गए थे. आनन-फानन में स्थानीय लोग उन्हें अनुमंडलीय अस्पताल में लेकर आए. उन्हें भी अस्पताल में जब स्ट्रेचर नहीं मिली तो मरीज के परिजन उन्हें गोद में उठाकर ही वार्ड में ले गए, जहां डॉक्टर ने जांच के बाद मृत घोषित कर दिया. मृतक को ले जाने के लिए जब अस्पताल ने शव वाहन उपलब्ध नहीं कराया, तो उनके भी परिजन मोटरसाइकिल से शव को घर ले गए.

देखें रिपोर्ट

एक सप्ताह पहले इस अस्पताल में इलाजरत एक मरीज के शरीर में कीड़े पड़ गए थे. मरीज के शरीर से दुर्गंध आने के बाद अस्पताल के सफाई कर्मियों ने मरीज के शरीर पर केमिकल डाल दिया था. ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब जिलाधिकारी से इसकी लिखित शिकायत की, तो मरीज को बेहतर इलाज के लिए पीएमसीएच (PMCH) रेफर कर दिया गया था.

हैरानी की बात है कि जिस प्रदेश का स्वास्थ्य बजट लगभग 12 हजार करोड़ है. जहां के विधायकों के निधि से भी 2 करोड़ रुपये की कटौती की गई है. उस प्रदेश में 20 लाख की आबादी पर मात्र 1 शव वाहन है.

इस दोनों मामले को लेकर जब जिले के डुमरांव विधानसभा क्षेत्र के विधायक अजीत कुमार सिंह से पूछा गया तो, उन्होंने बताया कि ऐसे हालात केवल बक्सर के नहीं हैं.बल्कि पूरे बिहार की ऐसी ही स्थिति है. विधायकों की निधि से सरकार ने पहले ही 2 करोड़ रुपए ले लिए हैं और जो 1 करोड़ रुपए बचे हैं, उससे एम्बुलेंस और शव वाहन को खरीदकर हम अपने विधानसभा क्षेत्र में देना चाह रहे थे, लेकिन विधायकों से एंबुलेंस लेने के लिए सरकार तैयार नहीं है.

''सरकार यह कह रही है कि एम्बुलेंस वही उपलब्ध कराएगी, ऐसे में विधायक क्या कर सकते हैं. जिस जिले के प्रभारी मंत्री मंगल पांडे हैं, वहां की यह स्थिति है. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अन्य इलाकों का क्या हाल होगा. 26 जुलाई से शुरू होने वाले मानसून सत्र के दौरान विधानसभा के पटल पर इस मामले को गंभीरता से उठाउंगा.''-अजीत कुमार सिंह, भाकपा माले विधायक

गौरतलब है कि जिले के सरकारी अस्पतालों को खुद इलाज की जरूरत है. कहीं, स्वास्थ्य केंद्रों में भैंस का खटाल खुला हुआ है, तो कहीं उप स्वास्थ्य केंद्र नशेड़ियों का अड्डा बन गया है, उसके बाद भी हम कोरोना की तीसरी लहर से निपटने का दावा कर रहे हैं. कोरोना की दूसरी लहर ने बक्सर समेत पूरे हिंदुस्तान में जिस तरह से कोहराम मचाया था. वह दिन आज तक हम सभी को याद है. ऑक्सीजन के अभाव में अस्पतालों में मरीज दम तोड़ रहे थे.

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उस दौरान भी सरकार एवं जिला प्रशासन के अधिकारी बेहतर व्यवस्था होने का दावा कर रहे थे, लेकिन लोगों को कितनी सुविधा मिली यह बताने की जरूरत नहीं है. एक बार फिर कोरोना की तीसरी लहर आने की बात कही जा रही है, लेकिन हम उसके लिए कितना तैयार है. इन तस्वीरों को देखकर इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है.

Last Updated : Jul 12, 2021, 5:20 PM IST

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