बिहार

bihar

ETV Bharat / state

'मंत्री बदले जाते हैं लेकिन सरकारी अस्पतालों की तस्वीर नहीं बदलती', माले विधायक का दर्द

बक्सर सदर अस्पताल में कुव्यवस्था को लेकर भाकपा माले के विधायक अजीत कुमार सिंह (CPI Male MLA Ajit Kumar Singh) ने सवाल उठाया है. वहीं, एक मरीज के परिजन ने एंबुलेंस नहीं उपलब्ध कराने का आरोप लगाया है. पढ़ें पूरी खबर.

बक्सर सदर अस्पताल
बक्सर सदर अस्पताल

By

Published : Dec 22, 2022, 12:15 PM IST

बक्सर सदर अस्पताल में सुविधाओं का अभाव

बक्सर:बिहार सरकार के द्वारा बजट की एक बड़ी राशि स्वास्थ्य के क्षेत्र में खर्च की जाती है. कागजों पर स्वास्थ्य विभाग के मंत्री से लेकर अधिकारी बड़े-बड़े दावे करते हैं लेकिन हकीकत कुछ और ही है. जिन गरीबों के लिए सरकारी अस्पताल चलाये जा रहे हैं. वह जब अस्पताल में पहुचते हैं, तो अधिकांश डॉक्टर उन्हें छूते तक नहीं है और दवा लिखर कोरम पूरा कर देते हैं. अस्पताल में किसी की मौत हो जाये तो उसे शव वाहन तक नहीं मिलती है और लोग विवश होकर चले जाते हैं. बक्सर सदर अस्पताल (Buxar Sadar Hospital) की व्यवस्था देखकर भाकपा माले के विधायक ने भी सवाल उठाया है.

ये भी पढ़ें- मसौढ़ी अनुमंडल अस्पताल में सुविधाओं का है घोर अभाव, कर्मचारियों की भी कमी

अस्पतालों में सुविधा का घोर अभाव: जिले के सदर अस्पताल के संचालन और स्वस्थ्यकर्मियों के वेतन व्यवस्थाओं के रख-रखाव पर प्रत्येक महीने करोड़ों रूपये की राशि कागजों पर खर्च किया जा रहा है. अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए मेडिसिन, एटीएम लगाया गया है. लेकिन इन उपकरणों में उद्घाटन के बाद से ही ताला बंद है. लोगों को इसका कोई फायदा नहीं मिल रहा है. बड़ी-बड़ी एम्बुलेंस की सुविधा केवल वही लोग उठा रहे हैं. जिनपर स्वास्थ्यकर्मी मेहरबान हो जाएं. ऐसा नजारा देखकर अब सरकार के सहयोगी भाकपा माले के विधायक ने भी व्यवस्था पर सवाल उठना शुरू कर दिया है.



एचआईवी मरीजों से होता है भेदभाव:सरकारी अस्पतालों से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार जिले में प्रत्येक महीने लगभग 12 एचआईवी के मरीज मिलते हैं. जिसमें गर्भवती महिलाओं की भी संख्या है. जिनका डिलीवरी कराने से यहां के डॉक्टर हाथ खड़ा कर लेते हैं. अस्पताल प्रशासन की माने तो एचआइवी मरीजों की डिलीवरी कराने के लिए अलग ऑपरेशन थियेटर की जरूरत होता है. लेकिन यहां के अस्पताल में एक ही ऑपरेशन थियेटर है. जिसके कारण उनका डिलीवरी यहां नहीं कराई जाती है.

"मरीज की अस्पताल में मौत हो गई. पैसा नहीं रहने के बावजूद भी शव को ले जाने के लिए साधन नहीं दिया गया. यह भी नहीं सोचा कि अकेली महिला शव को लेकर कैसे जाएगी."- मरीज के परिजन

"यह सच्चाई स्वीकार करने में कोई गुरेज नहीं है कि अस्पतालों में सुविधाओं का घोर अभाव है. वार्ड बॉय से लेकर स्ट्रेचर तक कि कमी है. कोरोना काल से ही यह बात कहते आ रहा हूं कि संसाधनों के अभाव में लोग मर रहे हैं. तेजस्वी यादव जी खुद व्यवस्थाओं को देख रहे हैं. धीरे-धीरे पटरी पर सब कुछ लौट आएगा ऐसी उम्मीद है."- अजित कुमार सिंह, भाकपा विधायक

ABOUT THE AUTHOR

...view details