बक्सर: जदयू के शीर्ष नेतृत्व के द्वारा पार्टी नेता संतोष निरालाको जिलाध्यक्ष बनाये जाने के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म है. पार्टी के अंदर ही नहीं, हर चौक-चौराहे पर, प्रमोशन या डिमोशन के विषय पर देर रात तक चर्चा होती रही. संगठन में आये इस बदलाव के कारण 26 नवम्बर को भी पार्टी के कार्यालय में पूरे दिन ताला लटका रहा
कई महीनों तक चर्चा
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में कांग्रेस विधायक विश्वनाथ राम के हाथों मिली करारी हार के बाद नीतीश कुमार के सबसे नजदीकी माने जाने वाले राज्य सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री संतोष निराला के चुनाव हार जाने की चर्चा महीनों तक होती रही. पार्टी नेताओं और क्षेत्र के लोगों को यह उम्मीद थी कि, नीतीश कुमार उन्हें विधान परिषद कोटे से फिर से मंत्री बनाएंगे. लेकिन अचानक जिलाध्यक्ष बना दिया गया. जिसके कारण एक बार फिर संतोष निराला चर्चा का विषय बने हुए है.
मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसती रही जनता
साल 2010 और 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में राजपुर विधानसभा क्षेत्र की जनता ने संतोष निराला को विधानसभा तक पहुंचाया. राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री बने, उसके बाद भी उस क्षेत्र की जनता मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसती रही. अपनी फरियाद को लेकर जाने वाले लोगों से मिलने से भी परहेज करते रहे. जिसका परिणाम था कि चुनाव के नोमिनेशन से मात्र 3 दिन पहले, बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले विश्वनाथ राम ने उन्हें बुरी तरह से परास्त कर जनता के विश्वास को जीत लिया.
संपति विवाद का भी उठा था मामला
साल 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में जब पहली बार संतोष निराला चुनाव लड़े, उस समय उनके पास मात्र 30 हजार नगद और 35 हजार की मोटरसाइकिल थी. 10 वर्षों तक विधायक और मंत्री रहने के बाद उन्होंने करोड़ों रुपये की संपति अर्जित कर ली. जिसे विपक्ष ने प्रमुख मुद्दा बनाया. वहीं पूर्व कैबिनेट मंत्री संतोष निराला को जिलाध्यक्ष बनाये जाने पर कांग्रेस विधायक विश्वनाथ राम ने मुबारकबाद दी है.