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MDM में मेंढक: कांग्रेस और BJP ने DPO को घेरा, डर से खाना नहीं खा रहे बच्चे

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Published : Oct 13, 2022, 2:37 PM IST

मध्याह्न भोजन में मेंढक मिलने (Frog Found In MDM At Buxar) के बाद पिछले एक सप्ताह से बच्चे स्कूल में भोजन नहीं खा रहे हैं. इस मामले में एनजीओ पर कार्रवाई नहीं होने को लेकर अब कांग्रेस और बीजेपी नेताओं ने डीपीओ पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

MDM में मेंढक विवाद पर कांग्रेस और बीजेपी ने डीपीओ को घेरा
MDM में मेंढक विवाद पर कांग्रेस और बीजेपी ने डीपीओ को घेरा

बक्सरःजिलाधिकारी कार्यालय से महज 50 मीटर की दूरी पर स्थित आचार्य नरेंद्र देव विद्यालय में एनजीओ द्वारा सप्लाई किए गए मिड डे मील में मेंढ़क मिलने को लेकर विवाद(MDM Controversy In Buxar) बढ़ता जा रहा है. इस मामले में बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं (Congress And BJP On MDM Controversy In Buxar) ने डीपीओ पर कमीशन लेने का आरोप लगाया है. 7 दिन का समय गुजर जाने के बाद भी अधिकारियों की चुप्पी देख सत्ताधारी दल कांग्रेस एवं मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने मध्याह्न भोजन कार्यक्रम पदाधिकारी मोहम्मद नाजेश अली पर कई गम्भीर आरोप लगाए हैं.

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कई बार मिल चुकी है शिकायतः कांग्रेस विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने कहा है कि यह घटना सत्य है कि एनजीओ के द्वारा जो भोजन स्कूल में दिया गया, उसमें मरा हुआ बॉयल मेढ़क था. इससे पहले भी कुल्हड़िया, बरुणा, चुरामनपुर के विद्यालयों में छिपकिली, कॉकरोच मिलने का शिकायत प्राप्त हो चुकी है. उसके बाद भी कमीशन के लिए डीपीओ उस एनजीओ पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि एनजीओ के साथ ही इस डीपीओ पर भी कार्रवाई हो. जिसको लेकर जिलाधिकारी के साथ ही मुख्यमंत्री को पत्र लिखूंगा.


"डीपीओ एनजीओ पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. एनजीओ के साथ ही इस डीपीओ पर भी कार्रवाई हो. जिसको लेकर जिलाधिकारी के साथ ही मुख्यमंत्री को पत्र लिखूंगा"-मुन्ना तिवारी, विधायक, कांग्रेस

बच्चों का जो भविष्य है उससे खिलवाड़ ः मिड डे मील को लेकर पिछले 1 सप्ताह से चल रहे विवाद पर भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष माधुरी कुंवर ने कहा कि, स्कूल के छात्र-छात्राओं का भविष्य एनजीओ के हाथ में देना ही गलत है. जब स्कूल में भोजन नहीं बनवाना था तो फिर रसोइए की बहाली क्यों की गई? बार-बार मध्याह्न भोजन में जहरीले जीव जंतु मिल रहे हैं. उसके बाद भी ना तो अधिकारियों पर कार्रवाई हो रही है और ना ही एनजीओ पर. इससे साफ हो जाता है कि कमीशन और वोट के गंदे सियासत के कारण बच्चों का जो भविष्य है उससे खिलवाड़ किया जा रहा है.

"जिले के पदाधिकारी इस बात को जानते हैं कि एनजीओ रात में ही जो भोजन तैयार करता है उसे दोपहर में स्कूलों में सप्लाई करता है. पहले मेरे ही आवास के पास में एनजीओ वाले भोजन रात्रि में तैयार कर खराब होने के डर से भोजन खुला छोड़ देते थे. उसके बाद भी कमीशन के लिए आज तक किसी अधिकारी ने इन पर कार्रवाई नहीं की, जिस स्कूल में भोजन बनता है, वहां के हेडमास्टर को एक साथ दस दिन का भी राशन नहीं दिया जाता है. जबकि कमीशन काटकर एनजीओ को तीन 3 महीने से अधिक का राशन एडवांस में दे दिया जाता है"- माधुरी कुंवर, जिलाध्यक्ष बीजेपी

डीईओ ने माना एनजीओ की लापरवाहीः एमडीएम को लेकर हो रहे विवाद पर जब ईटीवी भारत की टीम ने जिला शिक्षा पदाधिकारी से फोन पर बात की तो उन्होंने भी स्वीकार किया कि एनजीओ की लापरवाही है. स्कूलों में छात्र-छात्राओं को गुणवत्ता युक्त भोजन नहीं दिया जा रहा है. हमने भोजन खुद चेक किया है. वरीय अधिकारियों को पत्र के माध्यम से इसकी जानकारी दे दी गई है. यह सत्य है कि पिछले शुक्रवार से ही स्कूल के बच्चे भूखे पेट ही पढ़ाई कर रहे हैं.


स्कूल में भोजन नहीं खा रहे बच्चेः दरअसल बीते दिनों आचार्य नरेंद्र देव विद्यालय में जो भोजन बच्चों को दिया गया था, उसमें उबला हुआ मेढ़क था. जिसके बाद स्कूल प्रशासन ने शिक्षा विभाग से लेकर, एनजीओ तक को लिखित एवं मौखिक सूचना दी. उसके बाद भी एनजीओ पर कार्रवाई करने के बजाए शिक्षा विभाग के अधिकारी पर्दे के पीछे से एनजीओ का बचाव करने में जुट गए है और स्कूल प्रशासन को ही इसका जिम्मेवार बताने लगे. हद तो तब हो गई जब इस घटना के दूसरे दिन एनजीओ ने स्कूल में बदबूदार भोजन की सप्लाई कर जिसके दुर्गंध से ही बच्चों ने खाना खाने से इनकार कर दिया और आज एक सप्ताह से बच्चे भूखे ही पढ़ाई कर रहे हैं. जिसके बाद कांग्रेस, बीजेपी समेत लगभग सभी राजनीति पार्टी के नेताओं ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर चौतरफा हमला करना शुरू कर दिया है.

15 अगस्त 1995 हुई थी मिड डे मील की शुरूआतः आपको बता दें कि बच्चों को विद्यालय से जोड़ने एवं उनके बौद्धिक एवं शारीरिक विकास के मद्देनजर 15 अगस्त 1995 से विद्यालयों में मिड डे मील यानी कि मध्याह्न भोजन की व्यवस्था की शुरुवात राज्य एवं केंद्र सरकार के द्वारा की गई थी. जिसके अंतर्गत पूरे देश के प्राथमिक और लघु माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों को दोपहर का भोजन निशुल्क प्रदान किया जाता है. स्कूलों में नामांकन बढ़ाने , प्रतिधारण और उपस्थिति तथा उसके साथ ही साथ बच्चों में पौष्टिक स्तर में सुधार करने के उद्देश्य से इस योजना की शुरुआत की गई थी, लेकिन अब वही मध्याह्न भोजन विवादों के घेरे में है. क्योंकि जिन छात्र-छात्राओं को पौष्टिक भोजन देने का दावा सरकार कर रही है, उस भोजन को खाना तो दूर स्कूल के बच्चे छूने से भी डर रहे हैं.

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