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बक्सर के बैटल में कौन मारेगा बाजी, 'बाबा' या 'बाबू साहब'

बक्सर में इस बार मुकाबला कांटे का है. एक तरफ बीजेपी के अश्विनी चौबे को जेडीयू का साथ है. तो वहीं राजद के जगदानंद सिंह को रालोसपा, कांग्रेस, हम और वीआईपी समेत महागठबंधन के घटक दलों का साथ है.

बक्सर का बॉस कौन

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Published : May 16, 2019, 9:15 AM IST

बक्सर:अपने पौराणिक महत्व के लिए बक्सर देशभर में मशहूर है. रामायण काल से इस शहर के नाम की चर्चा होती आ रही है. पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान रामचन्द्र और लक्ष्मण ने अपने गुरू ऋषि विश्वामित्र के साथ जनकपुर मार्ग से होते हुए गंगा नदी पार किया था.

गंगा ने जमीन को बनाया है उपजाऊ
यहां गंगा हर किसी के जीवन में रची बसी हैं. यहां गंगा ने इस पूरे इलाके की मिट्टी को अपनी शीतलता देकर उपजाउ बनाया है. खेती यहां के लोगों का सबसे बड़ा आधार है. इसलिए भी यह जिला समृद्ध है. बक्सर राजनीति का गढ़ माना जाता है. इस लोकसभा सीट में 6 विधानसभा सीटें आती हैं. जिनमें ब्रह्मपुर, बक्सर, डुमरांव, राजपुर, रामगढ़, दिनारा हैं. 2014 में बीजेपी प्रत्याशी अश्विनी चौबे यहां से जीतकर संसद पहुंचे और केंद्र में मंत्री बने. शुरू से ही इस सीट पर बीजेपी का बोलबाला रहा है.

बैटल ऑफ बक्सर पर विशेष रिपोर्ट

अश्विनी चौबे का राजनीतिक इतिहास
अश्विनी कुमार चौबे स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री और 16 वीं लोक सभा के सदस्य हैं. वह भारतीय जनता पार्टी से संबंधित एक भारतीय राजनेता हैं. बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हैं.

जगदानंद सिंह दे रहे चुनौती
इस बार का चुनाव बड़ा ही दिलचस्प है. मैदान में दो धुरंधर आमने-सामने हैं. एक तरफ बीजेपी ने दोबारा अपने केंद्रीय मंत्री पर भरोसा जताया है तो वहीं महागठबंधन ने राजद के जगदानंद सिंह को यहां से टिकट दिया है.

जगदानंद सिंह का परिचय
राजद से जगदानंद सिंह बक्सर से पूर्व सांसद रह चुके हैं. उन्होंने रामगढ़ विधानसभा से 6 बार चुनाव जीता और विधायक बने. 2009 में उन्होंने लोकसभा चुनाव जीता था. इसबार भी वह जीतोड़ मेहनत में जुटे हैं.

ब्राह्मण वोटरों का वर्चस्व
बक्सर की राजनीति में ब्राह्मण वोटरों का वर्चस्व रहा है. हालांकि यादव और ब्राह्मण वोटों की संख्या लगभग यहां बराबर की है. बक्सर की स्थानीय राजनीति के जानकार कहते हैं कि यहां जाति की राजनीति हर बार हावी रहती है. बक्सर की करीब 18 लाख आबादी में से ब्राह्मणों और यादवों की हिस्सेदारी लगभग बराबर है.

जातिगत वोट समीकरण
वैसे बक्सर लोकसभा क्षेत्र में सबसे अधिक ब्राह्मण जाति की आबादी है. साढे तीन लाख के आसपास ब्राह्मण मतदाता हैं. और इतने ही यादव भी हैं. तीसरे नंबर पर राजपूत भले हो ना हों, लेकिन उनका प्रभाव जरूर है. वहीं राजपूत करीब एक लाख 68 हजार हैं.

बक्सर में कुल मतदाताओं की संख्या

  • 18 लाख 20 हजार 035
  • पुरुष वोटरों की संख्या 9 लाख 67 हजार 278
  • महिला मतदाताओं की संख्या 8 लाख 52 हजार 740
  • थर्ड जेंडर के 17 मतदाता हैं

बक्सर चुनाव का पिछला आंकड़ा
2014 में यहां अश्विनी चौबे ने राजद के जगदानंद सिंह को हराया था. अश्विनी चौबे को 3,19,012 वोट मिले थे. जबकि जगदानंद सिंह को 1,86,674 वोटों से संतोष करना पड़ा था. वहीं 2014 में बसपा के टिकट पर ददन पहलवान को 1,84,786 वोट मिले थे.

वोटों का फैक्टर
बक्सर संसदीय सीट से 15 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. बक्सर में मुख्य मुकाबला अश्विनी चौबे और जगदानंद सिंह के बीच है.अब अगर वोटों के फैक्टर की बात करें तो बसपा छोड़कर ददन पहलवान जेडीयू में शामिल हो गए. ऐसे में ददन पहलवान के पिछले वोटों में से अगर एक लाख वोट बीजेपी के पाले में पड़ते हैं तो अश्विनी चौबे बाजी मारने में सफल हो सकते हैं.

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