बक्सर: प्राचीन काल में व्याघ्रसर के नाम से प्रसिद्ध बक्सर, सरकार और जिला प्रशासन के अधिकारियों की उदासीनता के कारण, अब अपनी धार्मिक पहचान खोते जा रहा है. एक तरफ जहां राम जन्म भूमि को विश्व के मानचित्र पर लाने के लिए, केंद्र सरकार के द्वारा अरबों रुपये खर्च कर भव्य मंदिर बनवाया जा रहा है. वहीं राम के शिक्षा स्थली और प्रथम युद्ध भूमि विश्वामित्र की पावन नगरी बक्सर धीरे-धीरे इतिहास के पन्नों में सिमटता जा रहा है. जिस पर ना तो सरकार का ध्यान है और ना ही अधिकारियों का.
त्रेतायुग में भगवान राम का हुआ था आगमन
कहा जाता है कि त्रेता युग में जब ताड़का, सुबाहु, मारीच आदि राक्षसों का आतंक बढ़ गया था. तब महर्षि विश्वामित्र अयोध्या पहुंचकर, राम और लक्ष्मण को लेकर बक्सर आए थे. जहां भगवान राम ने इन राक्षसों का वध कर, नारी हत्या दोष से मुक्ति पाने के लिए, 5 कोस की यात्रा प्रारंभ की थी.
मिथिला के लिए किया प्रस्थान
अपने पहले पड़ाव में भगवान राम, लक्ष्मण और महर्षि विश्वामित्र गौतम ऋषि के आश्रम अहिरौली पहुंचकर राम ने अपने चरण से स्पर्श कर, पत्थर रुपी देवी अहिल्या का उद्धार किया और पुआ-पकवान खाया. जिसके बाद अपने यात्रा के दूसरे पड़ाव में नारद मुनि आश्रम नादाव पहुंच कर उन्होंने खिचड़ी, बजका और पकौड़ी का प्रसाद ग्रहण किया. तीसरे पड़ाव में भार्गव ऋषि के आश्रम भभुवर पहुंचकर उन्होंने दही-चूड़ा खाया. जबकि अपने चौथे पड़ाव में उद्दालक ऋषि के आश्रम उनवास पहुंचकर उन्होंने सत्तू-मूली खाने के बाद अपने पांचवें और अंतिम पड़ाव में बक्सर के चरित्र वन में पहुंचकर, लिट्टी-चोखा का प्रसाद ग्रहण कर रामरेखा घाट से मिथिला के लिए प्रस्थान कर गए.
दबंगों ने किया कब्जा
आज भी प्रत्येक वर्ष अगहन मास में लाखों श्रद्धालु पंचकोशी परिक्रमा कर पूजा-पाठ करते हैं. रामचरितमानस के अनुसार, लंकापति रावण से देवी सीता को मुक्त कराने के लिए, लंका पर चढ़ाई करने के दौरान भगवान राम ने शहर के रामरेखा घाट पर भगवान शिव के लिंग की स्थापना की थी. जिसे आज रामेश्वरम मंदिर के नाम से जाना जाता है. लेकिन समय के साथ ही साथ महर्षि विश्वामित्र आश्रम पर पूजा पाठ के नाम पर दबंगों ने कब्जा जमा लिया है.
प्रत्येक वर्ष करोड़ों की कमाई
इस आश्रम के जमीन पर बने सैकड़ों दुकानों से प्रत्येक वर्ष करोड़ों की कमाई होती है. जिसे प्रशासनिक अधिकारियों के मिलीभगत से लोग हजम कर जाते हैं. ऐसा नहीं है कि बक्सर में मठ मंदिर के नाम पर संपति का अभाव है. केवल बक्सर नगर परिषद क्षेत्र में, मठ मंदिर के नाम पर खरबों की संपति है. जिस पर बड़े -बड़े व्यपारियों और दबंगों ने कब्जा कर रखा है. जहां से प्रत्येक वर्ष करोड़ों की कमाई करते हैं.