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Corona Effect: बक्सर में मुरझाए किसानों के चेहरे, कहा- 'अगर लॉकडाउन लगा तो भुखमरी की कगार पर आ जाएगा परिवार'

पारंपरिक खेती को छोड़ व्यवसायिक खेती करने वाले किसानों की खेती और आमदनी पर कोरोना ने ग्रहण लगा दिया है. खेतो में फूलों के साथ किसानों के चेहरे भी मुरझा (Buxar farmers upset) रहे हैं. बक्सर जिले के सिमरी प्रखण्ड में कोरोना से परेशान किसान का कहना है कि अगर हालात नहीं बदले तो हमारा परिवार भुखमरी की कगार पर आ जाएगा. पढ़ें रिपोर्ट...

बक्सर में फूल कारोबार चौपट
बक्सर में फूल कारोबार चौपट

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Published : Jan 16, 2022, 6:59 AM IST

बक्सर: बक्सर जिले में बेपटरी हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सिमरी प्रखंड के किसानों ने इस साल बड़े पैमाने पर दियारा इलाके में फूलों की खेती की है, लेकिन कोरोना की तीसरी लहर (Third Wave of Corona) ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. किसानों ने बताया कि 15 हजार रुपए प्रति बीघा लीज पर जमीन लेकर इस साल फूलों की खेती की थी, लेकिन मांगलिक कार्य शुरू होने से पहले ही कोरोना ने आमदनी पर ग्रहण (Flower Business Collapsed in Buxar) लगा दिया है. मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा बंद हैं. शादी के लिए फूलों का जो ऑर्डर मिला था, उसे भी लोग कैंसल करा रहे हैं. जिससे बक्सर में फूल कारोबार चौपट हो गया है.

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बक्सर में कोरोना का असर दिखने लगा है, जिससे किसानों के माथे की लकीरें मोटी होने लगी हैं. खेतों में फूलों की रखवाली कर रहे किसानों ने बताया कि कोरोना का नाम सुनते ही दिल दहल उठा है. पिछले 2 साल घर में रखी पूंजी लगाकर 1 एकड़ फूल की खेती की थी, लेकिन लॉकडाउन ने सब कुछ तहस नहस कर दिया. इस आर्थिक विपदा से उबरने के लिए 15 हजार में 15 कट्ठा खेत एक जमींदार से लीज पर लिया था, लेकिन इस साल भी कोरोना आ गया. कहीं, सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया तो पूरा परिवार भुखमरी की कगार पर आ जाएगा.

बक्सर में फूल कारोबार चौपट

वहीं, कुछ किसानों ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा किसानों के लिए कागजों पर कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन साहब लोग खेतों में काम करने वाले किसानों तक योजना का लाभ पहुंचने दे रहे हैं या नहीं, यह देखने और सुनने वाला भी कोई नहीं है. मंदिर बंद है और बाजारों में फूल का खरीदार नहीं मिल रहा है. अब खेतों में ही फूल सूखने लगे हैं. बाजार उपलब्ध कराना तो सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन सत्ता में बैठे नेता से लेकर अधिकारी सभी अपने फायदे की बात सोच रहे हैं.

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गौरतलब है कि कोरोना वैश्विक महामारी के कारण रोजगार बंद हो जाने के बाद आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए जिले के किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर बड़े पैमाने पर दियारा इलाके में व्यवसायिक खेती कर रहे हैं. एक बार फिर कोरोना की तीसरी लहर ने किसानों के फौलादी हौसले को भी पस्त कर दिया है. ऐसे में किसानों को अब बच्चों की पढ़ाई से लेकर दवाई की चिंता सताने लगी है.

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