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बक्सर में मात्र 10 प्रतिशत धान की खरीददारी, जानें क्यों व्यापारियों से धान बेच रहे किसान ? - बक्सर में पैक्स की मनमानी

Buxar Farmers Upset: धान खरीददारी में बक्सर जिला पिछड़ गया है. यहां के किसान मिलरों और पैक्स कर्मीयों की मनमानी के कारण सीधे व्यपारियों से धान बेचने पर मजबूर हैं. वहीं मात्र 10 प्रतिशत धान की खरीददारी कर अधिकारी अपनी पीठ थपथपा रहे हैं.

बक्सर के किसान परेशान
बक्सर के किसान परेशान

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 6, 2024, 10:42 AM IST

बक्सर में मात्र 10 प्रतिशत धान की खरीददारी

बक्सरः बिहार के बक्सर जिले में मिलरों औरपैक्सकर्मियों की मनमानी ने अन्नदाता को मुश्किल में डाल दिया है. किसानों ने 48 डिग्री टेम्प्रेचर में तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए धान का उत्पादन किया, लेकिन अब अपनी उपज को औने-पौने दाम में व्यपारियों को बेचने के लिए मजबूर हैं. सरकारी समितियों की मनमानी से परेशान किसान अब पैक्स और व्यपार मंडल में जाने से पहले ही सहम जा रहे हैं.

10 प्रतिशत धान की खरीददारीःआलम यह है कि डेढ़ महीने से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी जिले में मात्र 10 प्रतिशत ही धान की खरीद हो पायी है. जिलाधिकारी से लेकर जिले के तमाम अधिकारियों के द्वारा जांच कर कार्रवाई करने की बात कहकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जा रहा है.

2 लाख 22 हजार रजिस्टर्ड किसानः जिले के कुल ग्यारह प्रखंड में 98 हजार हेक्टेयर भूमि पर 2 लाख 22 हजार किसानों के द्वारा वर्ष 2023 में धान फसल की खेती की गई थी. भीषण सुखाड़ का सामना करते हुए किसानों ने किसी तरह से अपनी फसल की हिफाजत की, हथिया नक्षत्र में हुए भरपूर बारिश ने किसानों की हारी हुई बाजी को जीत में बदल दिया और रिकॉर्ड उत्पादन हुआ.

बक्सर के किसान परेशान

किसानों के उम्मीदों पर पानीःवहीं जब फसल के बेचने का समय आया तो सरकारी समितियों की मनमानी ने किसानों के उम्मीदों पर पानी फेर दिया. भारत सरकार द्वारा ग्रेड वन धन के लिए 2203 रुपये प्रति क्विंटल, जबकि ग्रेड टू धान के लिए 2183 रुपये प्रति क्विंटल का दर निर्धारित किया गया है. पैक्स और व्यपार मंडल के द्वारा किसानों को बोरा उप्लब्ध कराने की बात भी कही गई थी, लेकिन किसानों से ही पैक्सकर्मी पालदारी, वजन, बोरा वाहन भाड़े का पैसा वसूल रहे हैं.

"पैक्सकर्मी हमसे प्रति क्विंटल 5 किलो का नजराना भी ले रहे हैं. चोरी पकड़ी न जाये इसलिए 50 क्विंटल धान को 42 क्विंटल का पर्ची बनाकर किसानों को दे दिया जा रहा है. पैक्स और व्यपार मंडल की मनमानी को देख हमलोगों ने अपनी उपज को सीधे व्यपारियों को बेच दिया. पैक्स में जिस धान की कीमत 1800 मिल रही है, उसी धान को व्यपारी 2 हजार में ले रहे हैं"- सुरेंद्र ठाकुर, किसान

क्या कहते है पैक्स कर्मी?वहीं ईटीवी भारत की टीम ने जब पैक्स कर्मियों से बात की, तो पैक्स अध्यक्षों ने बताया कि किसान पैक्स में आ ही नहीं रहे हैं, क्योंकि मिलरों की मनमानी है कि 5 किलो ज्यादा धान प्रति क्विंटल लेंगे. तो पैक्स कर्मीयों को किसानों से ज्यादा धान लेना मजबूरी है. जिसे जिलाधिकारी भी जानते हैं. उनके साथ बैठक में खुलेआम मिलर इस बात को कह रहे थे. नवानगर पैक्स अध्यक्ष मृत्युंज सिंह ने कहा कि जब किसानों का धान घर पर ही 2 हजार प्रति क्विंटल में बिक्री हो जा रहा है, तो वो यहां क्यों आएंगे.

'सबुत मिलेगा तो कार्रवाई की जाएगी':किसानों की समस्याओं को लेकर जब जिलाधिकारी से बात की गई तो डीएम अंशुल अग्रवाल ने बताया- "हम धान की खरीददारी में पीछे हैं. मात्र 10 प्रतिशत धान की खरीददारी हो पाई है. धान खरीद में जो भी बाधाएं आ रही हैं, उसे दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. वैसे पैक्स कर्मीयों या मिलरों की मनमानी के खिलाफ सबुत मिलेगा तो कार्रवाई की जाएगी".

कांग्रेस विधायक मुन्ना तिवारी
कांग्रेस विधायक का डीएम पर प्रहारः वहीं बक्सर सदर के कांग्रेस विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने जिलाधिकारी पर सीधा प्रहार करते हुए कहा कि जब जिलाधिकारी को यह बात नहीं समझ में आ रही है कि जनवरी महीने में धान में नमी नहीं रहती है, तो वह वैसे व्यक्तियों को अपने साथ रखें, जिसे खेती बाड़ी की अच्छी जानकारी हो जो किसानों की समस्या को समझता हो, अगर नहीं समझ में आ रहा है तो मिलर और पैक्स कर्मियों के साथ बैठक के दौरान जनप्रतिनिधियों को भी उस बैठक में बुलाएं.

"जनप्रतिनिधि मिलर और पैक्स कर्मियों के मनमानी पर अंकुश लगाने में प्रशासन का सहयोग करेंगे. ये अत्यंत दुखद है कि हमारे अन्नदाता भूखे प्यासे रहकर फसल को उपजाते हैं और जब उपज बेचने का समय आता है तो सरकारी सिस्टम में बैठे हुए लोग तरह-तरह के उन पर दबाव बनाते हैं"- मुन्ना तिवारी, कांग्रेस विधायक

व्यपारी और पैक्स कर्मी की बल्ले-बल्लेः गौरतलब है कि जिले के ज्यादातर किसानों ने अपने धान की बिक्री व्यपारियों को कर दी है. कुछ वैसे किसान हैं, जो सीधे मिलर के सम्पर्क में हैं. उसके बाद अब सरकारी संस्था व्यपारियों के धान को ही खरीदकर अपना टारगेट पूरा करने की जुगाड़ में लगे हुए हैं. जिससे व्यपारी और पैक्स कर्मी दोनों की बल्ले बल्ले हो जाएगी.

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