पटनाःएक ही एंबुलेंस का चार बार उद्घाटन करके विवादों में घिरे केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी चौबेकी सत्ता की हनक के आगे कहीं न कहीं जिला प्रशासन भी झुक गया है. सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए BS-4 मॉडल गाड़ियों के निबंधन के तहत एंबुलेंस का निबंधन नहीं किए जाने का दावा करने वाले जिला परिवहन पदाधिकारी के 72 घंटे के बाद ही सुर बदल गए हैं. वे अब मंत्रीजी के साख को बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं.
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जिला परिवहन पदाधिकारी ने बदला बयान
पहला बयानः-गाड़ियों (एंबुलेस) का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कुछ लोग आए थे. उनको मैंने उन्हें बता दिया है कि मार्च 2019 में गाड़ियां खरीदी गई थी. और इन गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन 31 मार्च 2020 तक होना था. एक साल में उन्होंने रजिस्ट्रेशन के लिए कोई दावा पेश नहीं किया. ये BS-4 मॉडल की गाड़ियां हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार इन गाड़ियों के परिचालन पर रोक है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही इस दिशा में कुछ किया जा सकता है, लेकिन अभी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकता है. और जांच के दौरान पकड़े जाने पर इन गाड़ियों पर कार्रवाई भी की जाएगी.
दूसरा बयानः- पहला बयान देने के बाद एक और मौके पर जिला परिवहन पदाधिकारी मनोज रजक अपने बयान पर काबिज रहे. उन्होंने कहा कि "बीएस-4 मॉडल की गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2020 में ही रोक लगा दी है. जब तक विभाग के द्वारा कोई नई गाइडलाइन जारी नहीं की जाती है, तब तक इस मॉडल की गाड़ियों का निबंधन नहीं हो पाएगा. धनुष फाउंडेशन से लेकर तमाम लोग प्रतिदिन आ रहे हैं, लेकिन उनको स्पष्ट बता दिया है कि इस मॉडल की गाड़ियों का निबंधन पूरे हिंदुस्तान में कहीं से नहीं होगा.''