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बक्सर: सूखे की मार से किसान परेशान, कृषि विभाग ने कागजों पर करा दी 84% धान की रोपनी - Minister Santosh Nirala

बक्सर में अब तक आवश्यकता से मात्र 30 प्रतिशत ही बारिश हो पाई है. इससे यहां क्षेत्र में सूखे की स्थिति है. लेकिन कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार यहां औसतन 84 प्रतिशत धान की रोपनी हो चुकी है.

बक्सर

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Published : Aug 10, 2019, 2:24 PM IST

बक्सर: पूरा दक्षिण बिहार सूखे से प्रभावित है. किसान धान की रोपनी को लेकर परेशान हैं. वहीं, जिले में कृषि विभाग की एक बड़ी लापरवाही भी सामने आई है. विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में 84 प्रतिशत धान की रोपनी हो चुकी है. वहीं, इस संबंध में प्रखंड कृषि पदाधिकारी का कहना है कि यह आंकड़ा बिल्कुल गलत है.

बक्सर में किसान एक तरफ कम वर्षा से फसल नुकसान की मार झेल रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ विभाग के आंकड़ा भी इन्हें काफी परेशानी में डाल रहा है. अब तक यहां आवश्यकता से मात्र 30 प्रतिशत ही वर्षो हो पाई है. इसके साथ ही इस बार नहरों में पानी भी नहीं आया है. लेकिन कृषि विभाग के आंकाड़ों के अनुसार यहां अब तक औसतन 84 प्रतिशत धान की रोपनी भी हो चुका है.

कृषि विभाग के जारी आंकड़े पर एक रिपोर्ट

'विभाग के आंकड़े गलत'
इस संबंध में प्रखंड कृषि पदाधिकारी ने बताया कि क्षेत्र में औसतन 60 प्रतिशत ही धान की रोपनी हुई है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां बहुत ही कम बारिश हुई है. वहीं, कृषि विभाग के जारी रिपोर्ट के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इस आंकड़े को बिल्कुल गलत बताया.

कृषि विभाग की जारी रिपोर्ट

'नहीं हो सकी है रोपनी'
इस संबंध में बक्सर सदर विधायक संजय तिवारी ने कहा कि क्षेत्र के किसी भी प्रखंड में रोपनी नहीं हो सकी है. अभी तक नहरों में पानी ही नहीं था. दो दिनों से पानी आ रहा है. कुछ किसानों ने बिजली की सहायता से रोपाई की है. पूरे क्षेत्र में अब तक मात्र 40 प्रतिशत ही रोपनी हुई होगी. वहीं, परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला ने कहा कि नहरों में पानी आने के लिए सोन प्रखंड से अधिकारियों से बातचीत की थी. निश्चित ही क्षेत्र में सूखे की स्थिति है, लेकिन इसके लिए 15 अगस्त तक इंतजार करना चाहिए.

सूखाग्रस्त खेत

जारी है फर्जीवाड़े का खेल
बता दें कि बक्सर जिला कृषि विभाग पहले भी ऐसा कारनामा कर चुका है. विभाग ने पहले ही 300 क्विंटल अरहर का बीज और 700 क्विंटल ढाईचा घास का बीज बाजार में बेचकर किसानों के नाम की सूची तैयार कर दिया था. इस मामले में भी अभी तक जांच चल रही है. इस बार भी विभाग ने ऐसी ही गलत सूची तैयार कर सरकार को गलत आंकड़ा पेश कर रही है.

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