बक्सर: बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था (Poor health system in Bihar) को पटरी पर लाने के लिए जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी निरंतर प्रयासरत हैं. लेकिन हैरानी की बात यह है कि स्वास्थ्य महकमें से जुड़े कर्मी ही पूरे सिस्टम को बेपटरी पर लाने में जुटे हुए हैं. ताजा मामला बिहार के बक्सर जिले का है. यहां का सरकारी अस्पताल दलालों (Brokers In Buxar Sadar Hospital) का अड्डा बन गया है.
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सरकारी अस्पताल में सुबह के 10 बजे जैसे ही रजिस्ट्रेशन काउंटर पर पर्ची कटाने के लिए मरीजो की लाइन लगती है, वैसे ही अलग-अलग निजी अस्पताल एवं जांच घर के दलालों के अलावा स्वास्थ्यकर्मी एवं सुरक्षाकर्मी इस गोरखधंधे में लग जाते हैं. पहले मरीजों के बीच बैठकर उनके परेशानी को जान लेते हैं और उसके बाद कम पैसे में बेहतर सुविधा देने का लालच देकर मरीजों को निजी जांच घर एवं अस्पतालों में पहुंचा देते हैं. जहां मरीजों का खूब दोहन किया जाता है. दलालों का जाल रजिस्ट्रेशन काउंटर से लेकर, लैब, अल्ट्रासाउंड, सिटी स्कैन, एक्सरे रूम, डिलीवरी रूम, इमरजेंसी रूम से लेकर डॉक्टर के चेम्बर तक बिछा हुआ है.
ये भी पढ़ें:गया: इलाज के नाम पर होता है धंधा, ANMMCH से लेकर निजी नर्सिंग होम में दलालों का है बोलबाला सदर अस्पताल के बाहर मुख्य गेट के सामने राजनीतिक पार्टी के नेताओ के संरक्षण में कई गैर कानूनी निजी अस्पताल और जांच घर चल रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारियों के निर्देश पर कई बार छापेमारी की गई. लेकिन इनकी जड़े इतनी मजबूत है कि कार्रवाई करने से पहले ही दिल्ली और पटना वाले नेता जी फोन की घंटियां बजाना शुरू कर देते हैं. इनके खिलाफ कार्रवाई करने पर अधिकारियो का ही तबादला कर दिया जाता है.
इस मामले को लेकर कुछ ही महीना पहले जिलाधिकारी अमन समीर सामने बात रखी गई थी. जिसके बाद जिलाधिकारी के निर्देश पर एक साथ 5 बड़े अस्पतालों में छापेमारी की गई थी. छापेमारी करने वाले टीम के अधिकारियो ने रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा था कि कोई भी अस्पताल का रजिस्ट्रेशन नहीं है और झोलाछाप डॉक्टर के भरोसे चल रहा है. वहीं, कार्रवाई होने से पहले ही किसी का तबादला कर दिया गया, तो किसी ने मुंह पर ताला लगा लिया. आज भी सैकड़ो अस्पताल, और हजारों अवैध जांच घर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं राजनीतिक पार्टी के नेताओं के संरक्षण में चल रहा है. इसके बावजूद तमाम अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं.
सदर अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों ने ईटीवी भारत की टीम को फोन कर दलालों की सक्रियता की जानकारी दी. जिसके बाद अस्पताल के रजिस्ट्रेशन काउंटर से पर्ची कटाया गया. इस खेल में शामिल कई लोगों से बातचीत उनका वीडियो बनाया गया. इस बात की जानकारी जैसे ही विभाग के वरीय अधिकारियों को हुई, तो उनके हाथ पैर फूलने लगे. उन्होंने आनन-फानन में जिलाधिकारी को इस बात की जानकारी दी और वीडियो को आधार पर इसमे जुड़े तमाम लोगों पर एफआईआर दर्ज करने की बात कही.
'सदर अस्पताल में दलालों की जानकारी मिली है. स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारियों पर त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है. जो लोग भी इस खेल में शामिल होंगे उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.'-अमन समीर, जिलाधिकारी
गौरतलब है कि जिस जिले का प्रभारी मंत्री पूरे प्रदेश का स्वास्थ्य मंत्री हो, वहां के सरकारी अस्पतालों कि जब यह हाल है, तो प्रदेश के अन्य अस्पतालों की क्या हालात होगी. इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. जिस स्वास्थ्य कर्मियों को सरकार वेतन देती है उनके द्वारा ही इस तरह का कार्य किया जा रहा है, तो देखने वाली बात यह होगी कि मामला सामने आने के बाद क्या कार्रवाई की जाती है.
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