बक्सर:बिहार की राजनीति में बहुत उथल-पुथल चल रही है. खास कर एनडीए गठबंधन की बात करें तो यहां भी सबकुछ ठीकठाक नहीं है. अभी कुछ दिन पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने बिहार की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाया था. विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हाने भी पुलिस के कामकाज पर नाराजगी जतायी थी. भाजपा विधायक नीतीश मिश्रा ने अफसरशाही के खिलाफ (arbitrary of bureaucrats) धरने पर बैठने की बात कही थी. इन सब मुद्दों को लेकर भाजपा के बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेश रूंगटा (BJP state vice president Suresh Rungta) से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) पर भी अपनी राय रखी.
ईटीवी भारत- आप सत्ता में हैं और कहीं ना कहीं बड़े भाई की भूमिका में हैं लेकिन जिस तरह की चीजें सामने आ रही हैं, आपके नेता सरकार से नाखुश है.
जवाब- एक-दूसरे के एडजस्टमेंट से सरकार चल रही है. कहीं कोई स्थानीय अफसर बात नहीं सुन रहा है, उसके लिए सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) बात हुई है. कल भी बात हुई थी. आगे से ऐसी शिकायत नहीं आनी चाहिए. व्यवस्था में जंग लग गया था. अफसरों की जो मानसिकता है, वो अभी भी बदली नहीं है. उसको थोड़ा समय लगेगा. लोग बदल रहे हैं.
ईटीवी भारत- जंग की बात कर रहे हैं तो लगातार तीसरी बार आपकी सरकार है. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं तो आखिर ये जंग कितने दिन रहेगा?
जवाब- देखिए मानसिकता चेंज होती ही रहती है. इसमें अब कितना समय लगेगा, ये तो कहना मुश्किल है लेकिन आगे हमको लगता है की सुधार होगा. इस तरह के कंप्लेन नहीं मिलने चाहिए.
ये भी पढ़ें: बिहार BJP नेताओं को HAM की नसीहत- CM नीतीश पर बयान देने से पहले, PM मोदी से लें सीख
ईटीवी भारत- आपने कहा की बजट में प्रावधान किया गया है कि खेतों में छिड़काव किया जाएगा और यहां स्थिति ये है अगर हम खुद बक्सर की बात करें तो यहां किसान को यूरिया नही मिल पा रही है.
जवाब- देखिए, आजादी के बाद जहां तक मेरी समझ है, ये पहली ऐसी सरकार है जिसने यूरिया को बिना बाधा के किसानों तक पहुंचाया है. जबसे निमकोटेड किया है और आज भी उसका एक भी पैसा भाव इंटरनेशनल मार्केट में रेट बढ़ने के बाद नहीं बढ़ा है. यहां जो क्राइसेस हुआ हैस वह तात्कालिक है. हम समझते हैं कि आने वाले इसी महीने में वो सॉल्व हो जाने चाहिए.
ईटीवी भारत- नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को राजद अध्यक्ष बनाये जाने की खबरें आयी थीं बात बन नहीं पायी. क्या कारण हो सकता है इसका?